भाद्र शुक्ल की चतुर्दशी,
मनत है गणपति त्योहार।
सवारी जिनका मूषक डिंक
मोदक है उनका प्रिय आहार।।
उमा सुत है प्रथम पूज्य,
कहलाते गजानन महाराज।
ऋद्धि सिद्धि संग पधार,
पूर्ण करो मेरे सब काज।
प्रिय मोदक संग चढ़े इन्हे,
दूर्वा, शमी और पुष्प लाल।
हे लंबोदर ! हे विध्न नाशक!
आए हरो मेरे सब काल।।
हे ऋद्धि, सिद्धि दायक,
हे एकदंत! हे विनायक !
गणेश उत्सव को द्ववार पधारो
बनो सदा हमारे सहायक।।
बप्पा गणपति पूजा हेतु,
दस दिवस को आए ।
पुत्र शुभ लाभ संग पधार,
सारी खुशियां भर लाए।।
फूल, चंदन संग अक्षत, रोली,
हाथ जोड़ बप्पा हम करते वंदन।
हे गणाध्यक्ष!, हे मेरे शिवनंदन,
करो स्वीकार अब मेरा अभिनन्दन।।
अंकुर सिंह - चंदवक, जौनपुर (उत्तर प्रदेश)