रमेश वाजपेई - करैरा, शिवपुरी (मध्यप्रदेश)
हिन्दी ही भाषाओं में महान है - कविता - रमेश वाजपेई
मंगलवार, सितंबर 22, 2020
मैं जब गया दूसरे राज्य में
वहां हर आदमी
अपनी भाषा का बखान कर रहा था,
मैं भी उनके बीच
बैठा था
मैं भी हिन्दी भाषा का
गुणगान कर रहा था।
मैंने कहा
हिन्दी हमें
अपने अंतर्मन की बात
बड़ी सरलता कहने का
मौका देती है,
अपनी हर समस्या को
विश्लेषण करने का
सलीका देती है।
शब्द शब्द का व्याख्यान
करने की सुविधा देती है हिन्दी,
हर व्यक्ति की जुबान पर गीतों, छंदों, सवैया के माध्यम से
सुकून का अहसास कराती है हिन्दी।
हिन्दी में सूरज के
हिन्दी में चंदा के
कितने ही हैं पर्याय,
आइए हम अपनी भाषा के साथ
करें न्याय।
सूर मीरा कबीर तुलसी जायसी के मंत्र
अनुकरणीय हैं,
इन कवियों के सारगर्भित कथन गीतिका अविस्मरणीय हैं।
तुलसी की कृति घर घर
पूजी हैं,
सूर का वात्सल्य
घाघ भड्डरी की कहावतें
सहज ही जुबां पर आतीं हैं।
हिन्दी भाषा का वर्णन करना
सूर्य को दीपक दिखाना है,
सहजता और सरलता का वर्णन
हिन्दी समझने वालों को क्या बताना है।
इसलिए मैं तो यही कहूँगा
हिन्दी है तो हिन्दुस्तान है,
सचमुच हिन्दी ही भाषाओं में भाषा महान है।
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