संदेश
जीवन में संयम व संकल्प ज़रूरी - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
संसार की सफलताओं का मूल मंत्र उत्कृष्ट मानसिक शक्ति ही होता है जिसमें दो प्रमुख मानसिक शक्तियां मानी जाती हैं एक तो दृढ़ संकल्प शक्ति …
मैं भूतल का भार - गीत - अनिल बेधड़क
निपट अमावस मेरा जीवन तुम हो भोर किरन। परम अकिंचन काया से हो कैसे कृष्ण मिलन।। कैसी मन में प्यास संजोए भटक रहा यह मन। मृग मरीचिका के ही…
मैं ममता हूँ (भाग १) - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
(१) मम तजना आसान नहीं है कहती ममता। मम का करे निदान नहीं मानव में क्षमता। मम का बंधन डोर काटना अतिशय भारी। मम ही मम चहुँ ओर बँधे मम से…
वीरों को सलाम लिखूँ - कविता - विकाश बैनीवाल
जब चाहे लिखूँ सुबह या शाम लिखूँ, वीरों का शौर्य यारो मैं सरेआम लिखूँ। कुछ भी लिखूँ कविता-ग़ज़ल लिखूँ, हर एक शब्द मैं वीरों के नाम लिखू…
गौरव गाथा सदा वीरता - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
स्वर्णिम गाथा अमर वीरता, युग युग तक जयगान करेंगी। भारत माँ के वीर सपूतों, जन मन भारत याद रखेंगी।। इन्द्रधनुष…
सपनों के पंख फैलाओ - कविता - सुनील माहेश्वरी
ज़िंदगी मेरी है यारो, तो उम्मीद भी मेरी है, इसलिए आगे बढ़ने की ज़िद भी मेरी है। कोई साथ हो ना हो, कोई साथ दे ना दे, हार अगर मेरी है, तो …
उम्र जाया कर दी यूँ ही - ग़ज़ल - कर्मवीर सिरोवा
सारी उम्र जाया कर दी यूँ ही पढ़ने पढ़ाने में, मुठ्ठीभर लम्हात हसीं थे जो गुज़रें मुस्कराने में। खेल के मैदान में वो चंद नाम क्या ख़ूब थे, …
मन की दुरभिसंधि - कविता - विनय "विनम्र"
अट्टहास हँस रहा था, मन, जीत लिया सारा दर्शन, कुंठित कलुषित, माया लेकर, रक्त पिपासा मेरु श्रृंखला, नस नाड़ी भरपूर, अस्थि पन्जरों क…
दिल तोड़कर दिल लगाना बुरा है - ग़ज़ल - मोहम्मद मुमताज़ हसन
दिल तोड़ कर दिल लगाना बुरा है! नज़र से नज़र फिर मिलाना बुरा है!! वक़्त की नज़ाकत है फ़ासले रक्खो, चलना संभल कर ज़माना बुरा है! करो इश्क़ यूँ क…
साँझ सकारे - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
आपकी यादों मे हमने गुज़ारे साँझ सकारे। तुम तो भूल गई वो लम्हें जो अपने साथ गुज़ारे। दिल हमारा लेकर बेजान किया बेहाल किया, राधा बेवफ़ाई के…
राष्ट्रनायक सुभाषचंद्र बोस - गीत - मंजु यादव "ग्रामीण"
राष्ट्रनायक सच्चे अर्थों में, भारतमाँ का राजदुलारा था, सात समंदर पार से जिसने, दुश्मन को ललकारा था। विश्वपटल पर एक नाम वह, अंगारे सा द…
भारत के वीर सिपाही - कविता - रमाकांत सोनी
भारत के वीर सिपाही, सरहद के सजग सेनानी, मातृभूमि पर न्योछावर, जो देते अपनी ज़िन्दगानी। गोला बारूद भाषा पढ़ते, देशप्रेम में रहते मतव…
शारदे वन्दना - विधाता छंद - अभिनव मिश्र "अदम्य"
तुम्हें कर जोड़कर माँ शारदे प्रणाम करता हूँ। हमें सुरताल दो माता तुम्हारा ध्यान करता हूँ। मिटाकर द्वेष माँ मेरे ह्रदय में प्रीत तू भर …
शक्ति, शक्ति पहचान - कविता - अभिषेक अजनबी
मौन साधना में रहती क्यूँ? आज के दानव से डरती क्यूँ? तुझमें शक्ति परम प्रबल है, फिर भी तड़प तड़प मरती क्यूँ? अत्याचार शिखर पर पहुँचा, त…
क़लमकार फिर भी लिखता है - कविता - विजय गोदारा गांधी
हर बाज़ार, रहे खाली हाथ, तब पता चला सच कब बिकता है। सो कोशिशें बेकार गई, नसीब से ज़्यादा किसे मिलता है। मेरी तस्वीर में सूरत उनकी, आईना …
आईने में क्या रखा है - ग़ज़ल - प्रवीन "पथिक"
चाँद-से चेहरे को तारों से सजा रखा है। अपने प्रियतम को पलकों में छुपा रखा है।। भूल न पाऊँगा तुझको किसी भी सूरत में। अब तो तेरी यादों का…
नव जीवन की चिड़िया - कविता - मयंक कर्दम
सुबह-सुबह सूर्य के स्वागत में, गाना-गाते, उछल कूद कर रही है। ये नाच-नाचकर देखो बच्चों, अपने पंख फैला रही हैं। एक तरफ़ गाना गाती, तो…
भारतीय संस्कृति की पीड़ा - कविता - आशाराम मीणा
कालिदास और सूरदास की शिक्षित सरल कहानी हैं। रसखान के मन में मोहन मीरा की यही ज़ुबानी है।। झूठा ताना-बाना नहीं चलेगा कबीरा तेरी सच्ची व…
जश्न-ए-आज़ादी - मुक्तक - परवेज़ मुज़फ्फर
आकर वतन से दूर तरक्की की दाँव में परदेश हम ने बाँध लिए अपने पाँव में। रह कर अज़ीम शहरो में परवेज़ आज भी दिल का कयाम है उसी छोटे से गाँ…
मना रहे गणतंत्र दिवस - कविता - अतुल पाठक 'धैर्य'
मना रहे गणतंत्र दिवस खुश हो झंडा फहराते हैं, याद शहीदों की कर-कर के गीत खुशी के गाते हैं। याद करो चरखे वाले को कैसी अजब कताई की, तोप-त…
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