भारत के वीर सिपाही - कविता - रमाकांत सोनी

भारत के वीर सिपाही, 
सरहद के सजग सेनानी, 
मातृभूमि पर न्योछावर, 
जो देते अपनी ज़िन्दगानी।

गोला बारूद भाषा पढ़ते, 
देशप्रेम में रहते मतवाले, 
अटल सदा सीमा पर रहते, 
सरहद के वो रखवाले।  

विषदन्तो को तोड़ अरि के,
रण में कौशल दिखलाते, 
सीना ताने सीमा पर जो, 
तूफ़ानों से भिड़ जाते। 

भुजदंडो को उखाड़ फेंक, 
बैरी के छक्के छुड़ा देते, 
नैन दिखाने वाले अरि को, 
वो नाकों चने चबा देते।

बाधाओं से भिड़ने वाले,
सैलाबों में गोते लगाते हैं, 
देशप्रेम से भरे वीर रण में,
दुश्मन पर भारी होते हैं। 

जय हिंद का नारा गाते, 
वंदे मातरम गान जहाँ, 
जन्मभूमि पर मर मिटने का,
जज़्बा और बलिदान वहाँ। 

रग रग में रक्त मचलता, 
रणभूमि के राही में, 
वतन प्रेम की भरी भावना,
भारत के वीर सिपाही में। 

भारत माँ के श्री चरणों में, 
जो शीश अर्पण किया करते हैं, 
अमर सपूत वो भारतमाता के,
सदा शान से जिया करते है।

रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)

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