कितना और जगाएंगे? - लेख - सतीश श्रीवास्तव

कोरोना क्या आया सब-कुछ अस्त व्यस्त हो गया है।
क्या पर्व क्या त्यौहार सबके मायने ही बदल गये।
शादियों में आमंत्रित करने की भी सरकारी गाइड लाइन बनाने की आवश्यकता महसूस हुई तो वहीं अंतिम संस्कार के लिए भी संख्या निर्धारित करनी पड़ी वाबजूद इसके भी लोग हैं कि मानने को तैयार ही नहीं हैं।
भावनात्मक जुड़ाव प्रर्दशित करने के लिए एक एक करके भीड़ बन जाते हैं और स्वयं कोरोना फैलाने वाले कारक बन बैठते हैं।

शासन और प्रशासन ने जागरूकता के लिए तमाम प्रयास कर लिए हैं लोग जितने जागरुक होना चाहिए थे नहीं हुए।
मास्क भी अब हेलमेट की तरह उपयोग किया जा रहा है जैसे हैलमेट गाड़ी के हैंडल पर टंगा हुआ है और पुलिस चेकिंग दिखाई दी तो हेलमेट लगा लिया और जैसे ही आगे बढ़े पुनः हेलमेट उतार कर रख लेते हैं, तब लगता है कि हेलमेट का फायदा बस यही है कि पुलिस चेकिंग के दौरान चालान से बचने का एक साधन मात्र हो जबकि तुम्हारे लिए जागरूक इसलिए किया गया है कि यह जीवन की रक्षा करने के लिए बहुत आवश्यक है।

शासन और प्रशासन द्वारा सख्ती तो इसलिए की जाती है ताकि आपके अनमोल जीवन की रक्षा की जा सके।
यहीं हाल आज मास्क का है भीड़भाड़ में भी मास्क नहीं लगाना अपने आप के प्रति घोर लापरवाही है, जेब में मास्क रखा है पर लगाएंगे नहीं।
दो गज की दूरी के भाषण देने वाले भी भीड़भाड़ में भाषण देते हैं तो मास्क लगाने के प्रवचन भी भीड़ में खड़े होकर बिना मास्क के ही ठोक जाते हैं।
सरकार जगा रही है,
प्रशासन जगा रहा है,
सामाजिक संगठन जगा रहे हैं,
संत समाज जगा रहा है,
साहित्यकार/पत्रकार जगा रहे हैं,
रेडियो टीवी जगाने में लगे हैं साथ मोबाइल पर कॉल करो तो पहले सावधानी की समझाइश मिल रही है फिर भी हम भागे जा रहे हैं अरे भाई यह दुनियादारी यह बाजार यह घूमना फिरना सब बना रहेगा यदि आप स्वस्थ रहे नहीं तो सब कुछ आपसे बहुत दूर हो जाएगा। सब-कुछ जानकर भी क्यों गहरी नींद में सो रहे हो।

कुछ नहीं करना है आपको... आप तो बस अपनी चिंता कीजिए क्यों कि आप देश की वह इकाई हैं जहां आप खड़े हैं लाइन वहीं से शुरू होती है।
स्वस्थ रहने के लिए क्या करना है आप भली-भांति जानते हैं।
कोरोना से कैसे बचें यह भी आप भली-भांति जानते हैं।
अपनी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कैसे बढ़ाएं आप बखूबी जानते हैं
बस आप आज से अपनी चिंता शुरू कीजिए देखना आने वाले कल की सुबह सुरक्षित और सुखदाई होगी।
सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु 
मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।। 
(सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।)

सतीश श्रीवास्तव - करैरा, शिवपुरी (मध्यप्रदेश)

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