ज़िंदगी जीत जाएगी - कविता - गजेंद्र कुमावत "मारोठिया"

अमावस की काली रात के बाद,
पूनम की चाँदनी छाएगी,
तुम डरना मत...
काली रात के बाद,
फिर एक सुनहरी सुबह आएगी,
मौत के इस मैदान में,
ज़िंदगी फिर से जीत जाएगी।


बस करना है संघर्ष तुझे,
अभी रहना है घर पर तुझे,
ये तेरा संयम...
जीत अपार आनंद दे जाएगी,
पतझड़ के टूटे पत्तों की उदासी,
सावन की बूंदे दूर कर जाएगी,
मौत के इस मैदान में,
ज़िंदगी फिर से जीत जाएगी।


याद रखों इस बात को,
लापरवाही की गर थोड़ी तो,
सबकी जान पर बन आएगी,
बचाव और समझदारी ही,
कोरोना को हरा पाएगी,
खुशहाली भारत में होगी,
ज़िंदगी फिर से मुस्कुराएगी,
मौत के इस मैदान में,
ज़िंदगी फिर से जीत जाएगी।


गजेंद्र कुमावत "मारोठिया" - रेनवाल, जयपुर (राजस्थान)


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