काश वो दिन लौट आए - कविता - विकाश बैनीवाल

काश वो दिन फिर लौट आए, 
बंधन मुक्त मिलकर ख़ुशी मनाए। 
जल्द बीमारी से छुटकारा मिले, 
कि समूह में बैठकर गीत गाए। 
काश वो दिन फिर लौट आए, 
बच्चे बन आँगन में शोर मचाएँ।  
दादी-नानी कि कहानियाँ सुने, 
परियो संग मधुर सपने सजाएँ।
काश वो दिन फिर लौट आए, 
दोस्तों संग स्कुल-कॉलेज जाएं। 
मौज-मस्ती करें जिंदाबाद रहें, 
नीत रोज उलाहनाे घर पर लाएँ। 
काश वो दिन फिर लौट आए, 
हर दिन फूल-खुशबु से महकाए। 
सुहाना मौसम टिमटिम बारिश हो, 
और दोस्तों संग कागजी नाव चलाए। 
काश वो दिन फिर लौट आए... 

विकाश बैनीवाल - भादरा, हनुमानगढ़ (राजस्थान)

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