संदेश
सावन की अभिव्यक्ति - कविता - रामासुंदरम
वृहद क्षणों ने सुखद भाव से मन में पाया जब विश्राम, विस्तृत नभ ने तृप्त हृदय से किया धरा को तभी प्रणाम। कोलाहल करता खिला खिला सा जब समी…
बिन साजन, सावन की रातें - गीत - सुशील कुमार
सावन की बरसातें आईं कागा फिर से घूम, साजन मेरे कब आएँगे पूछे दिल मासूम। वैसे तो विश्वास मुझे वो भी होंगे बेचैन, न कटती है मेरी अब रै…
सावन पर भी यौवन - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
छमछम छमछम नाची है बरखा, झम झम बरसे रे पानी। देखो मिलन की रुत आई है, लिखने को प्रेम कहानी। मधुबन भी है मदहोशी में डूबा, नाचे है मोर दीव…
सावन - दोहा छंद - दीपा पाण्डेय
धरती माँ दिखला रही, सबको अपना रूप। सावन में बरसात का, होता यही स्वरूप।। नदियों की गति तीव्र है, जाओ कभी न पास। जाने कितने बह गए, थे जो…
सावन की रुत - कविता - कृष्ण गोपाल सोलंकी
रिमझिम-रिमझिम बादल बरसे पवन चले पुरवाई, भारत का अभिनंदन करने सावन की रुत आई। आसमान पर काले बादल मस्तक तिलक लगाते हैं, इंद्रधनुष के सात…
सावन का महीना - कविता - सोनल ओमर
बंजर धरती पर जब हरियाली लहराए, उदास सूना-सूना दिल भी खिल-खिल जाए। उमड़-उमड़ के बादल गरजने लग जाए, जब सावन का महीना झूम-झूम कर आए।। कलिया…
झूमा बादल नाची मोर - गीत - भगवत पटेल 'मुल्क मंजरी'
मेंढ़क और गिलहरी नाचें, गौरैया गीत सुनाए। चहुँदिश हरियाली चमक रही, कोयल गाना गाए।। कौआ झूम कर नाच रहा, मछली जल में करत किलोर। झूमा बा…
सावन सुहाना आया - घनाक्षरी छंद - रमाकांत सोनी
सावन सुहाना आया, आई रुत सुहानी रे, बरसो बरसो मेघा, बरसाओ पानी रे। बदरा गगन छाए, काले काले मेघा आए, मोर पपीहा कोयल, झूमे नाचे गाए रे। र…
मानसून - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा 'निकुंज'
छाया नभ घनघोर घन, दग्ध धरा बिन आप। मानसून आग़ाज़ लखि, मिटे कृषक अभिशाप।। मानसून की ताक में, आशान्वित निशि रैन। उमड़ रही काली घटा, कृषक…
सावन - कविता - सीमा वर्णिका
नीलाम्बर में श्यामल घटा छाई, सावन की पहली बौछार आई। जून की गर्मी से तपी धरती ने, शुष्क उष्ण उर में शीतलता पाई। इंद्रधनुष से हुआ सतरंगी…
सावन - गीत - बृज उमराव
रिम झिम बरसे मेघा सैंया, मनवां भीगा जाए। सावन की रुत बड़ी सुहानी, मन मोरा ललचाए।। जिया जले मोरा भीतर भीतर, उसको कौन बुझाए। तुम तो गए प…
सावन मास - दोहा छंद - विशाल भारद्वाज "वैधविक"
कृपा हो महाकाल की, जन मानुष के साथ। अब कोरोना ख़त्म हो, कोई न हो अनाथ।। आते काशी घाट पर, नित दिन जन समुदाय। चाह स्वर्ग की रख सभी, करते …
मेरा सावन सूखा सूखा - गीत - अभिनव मिश्र "अदम्य"
विरह व्यथा की विकल रागिनी, बजती अब अंतर्मन में। कितनी आस लगा बैठे थे, हम उससे इस सावन में। बरस रहे हैं मेघा काले फिर भी मेरा मन मरुथल,…
सावन आया - कविता - राजकुमार बृजवासी
सावन आया सावन आया बैरागी मन झूमे गाए, पपीहे ने शोर मचाया सावन आया सावन आया। गरज रहे बादल अंबर में बिजली चम चम चमक रही, देखो छाए बदरा घ…
बरस बरस मेघ राजा - घनाक्षरी छंद - रमाकांत सोनी
मेघ राजा बेगो आजा, बरस झड़ी लगा जा। सावन सुहानो आयो, हरियाली छाई रे। अंबर बदरा छाए, उमड़ घुमड़ आए। झूल रही गोरी झूला, बाग़ा मस्ती छाई…
सावन की बरसात - गीत - गाज़ी आचार्य "गाज़ी"
आया बरसात का मौसम झूमले, बादल आए झूम झूमके और बादलों को चूमले। ऋतु बदली गया ज्येष्ठ आषाढ़ साल का था इंतज़ार माह बदले और आए सावन झूमके…
सावन मनुहार - लोकगीत (मिर्ज़ापुरी कजरी) - संजय राजभर "समित"
हे! राजा जईबय हम नहिअरवा, मनवा लागल हो ना। सखियाँ सहेलियन से करबय मुलाक़ात हो, आपन-आपन सुख-दुःख क करबय बात हो। हे! राजा गईबय हम कजरिया…
मेरी ख़बर दे आओ - कविता - बजरंगी लाल
सावन की काली घटाओं सुनों, अम्बर में बहती हवाओं सुनों, उसके आँगन में जा बरसाओ रे! मेरी कुछ तो ख़बर दे आओ रे! आसमाँ में विचरतेे चाँद सुनो…
वो बारिश का दिन - त्रिभंगी छंद - संजय राजभर "समित"
वो बारिश का दिन, रहे लवलीन, काग़ज़ी नाव, अच्छे थे। हम बच्चों का दल, देखते कमल, लड़ते थे पर, सच्चे थे। लड़कपन थी ख़ूब, कीचड़ में सुख, समय…
बरसो बरखा रानी - कविता - प्रीति बौद्ध
कारे कारे बदरा आसमान में छाए, कानन नाचे मयूर, मन मेरा हर्षाए। धरती की प्यास बुझाए बारिस का पानी, स्वागत है वर्षों से, बरसो बरखा रानी। …