मेरी ख़बर दे आओ - कविता - बजरंगी लाल

सावन की काली घटाओं सुनों,
अम्बर में बहती हवाओं सुनों,
उसके आँगन में जा बरसाओ रे!
मेरी कुछ तो ख़बर दे आओ रे!

आसमाँ में विचरतेे चाँद सुनों, 
हे! रजत चाँदनी मेरी बात सुनों,
उसके आँगन में चाँदनी बिखराओ रे!
मेरी कुछ तो ख़बर दे आओ रे!

बाग़ों में चहकती चिड़ियों सुनों,
फूल और तितली कलियों सुनों,
उसके घर को तूँ जा महकाओ रे!
मेरी कुछ तो ख़बर दे आओ रे!

रात टिमटिमाते तारों सुनों,
जुगुनू और सितारों सुनों,
उसके घर में जा रोशनी फैलाओ रे!
मेरी कुछ तो ख़बर दे आओ रे!

पावस की झरती फुहारों सुनों,
नदिया और नज़ारों सुनों,
उसके यौवन को जाकर भिगाओ रे!
मेरी कुछ तो ख़बर दे आओ रे!

झुरमुट से बहती बयारों सुनों,
हे चिट्ठिया डाक और तारों सुनों,
उसकी चूनर को जाकर उड़ाओ रे!
मेरी कुछ तो ख़बर दे आओ रे!!

बजरंगी लाल - दीदारगंज, आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश)

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