सावन मनुहार - लोकगीत (मिर्ज़ापुरी कजरी) - संजय राजभर "समित"

हे! राजा जईबय हम नहिअरवा, मनवा लागल हो ना।

सखियाँ सहेलियन से करबय मुलाक़ात हो, 
आपन-आपन सुख-दुःख क करबय बात हो।

हे! राजा गईबय हम कजरिया, मनवा लागल हो ना।

खेत खलिहान बाग़ बग़ईचा में घूमब, 
मार-मार पेग ख़ूब झूलनवा झूलब।

हे! राजा करबय हम निहोरवा, मनवा लागल हो ना।

तीज कजरी पर शिवजी के पूजबय, 
लोक कल्याण बदे हम मन्नत मँगबय।

हे! राजा पूजबय हम चरनवा, मनवा लागल हो ना।

तरोताज़ा हवा मे चँहकब सिवनवा, 
बलखत बदनिया फहराईब अंचरवा।

हे! 'समित' करबय हम रचनवा, मनवा लागल हो ना।।

संजय राजभर "समित" - वाराणसी (उत्तर प्रदेश)

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