संदेश
धृतराष्ट्र आज क्यूँ रोते हो? - कविता - अनूप अंबर
धृतराष्ट्र आज क्यूँ रोते हो? वैसी फ़सल काटोगे जैसे बीज तुम बोते हो। कितना समझाया वासुदेव ने, पर तुमको समझ न आया था। उस भरी सभा में दुर्…
ज़ुल्म सहते हो क्यूँ? - नज़्म - सुषमा दीक्षित शुक्ला
ज़ुल्म सहते हो क्यूँ, ज़ुल्म सहते हो क्यूँ? क्या तुम्हे बोलने की इजाज़त नहीं? ये अँधेरा घना है मगर जान लो देर तक इसकी रहती हुकूमत नहीं ज़ु…
पीड़ा सर्ग से - कविता - हर्षित अवस्थी 'मानस'
बढ़ रही व्यथा मन में, एक छवि ने है हिलाया। बैठ मेरे अंक में ही, एक प्रिय ने विष पिलाया। अब न हिलते अधर मेरे, बिक गई मुस्कान मेरी। अब …
देहाती स्त्रियाँ - कविता - विक्रांत कुमार
रात और दिन का क्षण पाय-पाय रेजकी का संग्रहण घर-गृहस्थी की गुमकी पसीने से तर-बतर हौसला गृहस्थ आमद और खाता-बही देहती स्त्रियाँ सबको…
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर | Firaq Gorakhpuri Top 30 Sher
फ़िराक़ गोरखपुरी उर्दू भाषा के प्रमुख शायरों में से एक थे। उनका असल नाम रघुपति सहाय था। उनका जन्म 28 अगस्त, 1896 को भारत के उत्तर प्रदे…
चाँद पर पहुँचा भारत - कविता - डॉ॰ सहाना प्रसाद
चाँद पर पहुँचा भारत, दिखाई हमने अपनी ताक़त। विज्ञान का महत्त्व पता चला, मेहनत से होता ही है भला। अब हैं सब की ज़ुबान पे, कुछ शब्द बाह्या…
ज़मीनी रंगत - कविता - निवेदिता
हम बेकार ही तलाशते रहे रंगों को आसमाँ में, नज़र नीचे हो भी जाए तो भी ना जाती, कद से नीचे के जहान में, खड़ी थी एक दिन, बैरंग अकेली सी, …
चन्द्रयान है चाँद पर - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
चन्द्रयान है चाँद पर, इसरो स्वप्न महान। धन्यवाद वैज्ञानिकों, भारतीय विज्ञान॥ आरोहण साफल्यता, अविरत शोध प्रयास। चन्द्रयान अब सोम पर,…
शख़्स वही गुलाब है - गीत - संजय राजभर 'समित'
काँटों के साथ रहे, फिर भी ख़ुशहाल रहे। चुभ जाए, दर्द सहे, शिकवा तक भी न कहे। सहनशील रुआब है, शख़्स वही गुलाब है। क़दम-क़दम जो चँहके,…
रविवार - कविता - राजेश 'राज' | Sunday Poem Hindi
सुन! कल रविवार है, बेफ़िक्री से खेलेंगे समय की बंदिशें दूर रख देंगे सुबह जल्दी आना। एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण योजना बनाते थे हम, मनपसंद …
मैं हूँ अतीत की लखनपुरी - कविता - राघवेंद्र सिंह
कोसल का हूँ मैं प्रणित अंश, उत्तर प्रदेश की स्वयं धुरी। हूँ अवधपुरी की मैं अनुजा, मैं हूँ अतीत की लखनपुरी। मैं स्वयं विरासत सूर्यवंश,…
बिटिया रानी - लघुकथा - राखी गौर
"अरे रीमा! तुम आ गई।" "हॉं बड़ी मॉं! और आप कैसी हो?" "मैं तो ठीक हूँ, तुम कैसी हो?" "मैं भी एक दम म…
मन - कविता - इन्द्र प्रसाद
मन मधुर स्वप्न गाता है। वह राग मुझे भाता है॥ मन की गति सबसे न्यारी, है सब गतियों पर भारी। जब अंकुश हट जाता है, बन जाता अत्याचारी।…
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर