संदेश
मानसिक ग़ुलामी - आलेख - अभिषेक शुक्ल
स्वतंत्रता का मतलब केवल दासता की बेड़ियाँ तोड़ना ही नहीं अपितु जो हमारे विचार पाखंड की ज़ंजीरों से जकड़े हुए हैं, उनसे मुक्त होना भी है…
आज़ादी - कविता - विनय विश्वा
हम कितने आज़ाद हुए ओ हिंद के वासी हम कितने आज़ाद हुए? भाषा से बोली से जाति से कर्म से रिस्तों से नातों से मतलब हम आज़ाद हुए हैं की अपने क…
आज़ादी की गाथा - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
स्वतंत्रता के सूरज की, रश्मियाँ बिखरी हैं चहुँओर, वीरों के बलिदान से सजी, ये धरती गाती है गीत और। लहू से रंगी थी ये धरती, कभी धुएँ से …
आज़ादी - मुक्तक - इन्द्र प्रसाद
गगन साक्षी शहीदों का मिली कैसे है आज़ादी। चूम फंदे लिए हंँसकर बढ़ाकर बाँह फौलादी। वतन की यज्ञशाला में बनाया हव्य शीशों का, शहीदों के अथक…
आज़ादी - कविता - गणेश भारद्वाज
आओ मिलकर नमन करें हम, माँ भारत के उन हीरों को। राष्ट्र हित बलिदान हुए जो, आज़ादी के उन वीरों को। भारत को सकल बनाने की, सर्व प्रथम जिसन…
आज़ादी - कविता - उस्मान खान
नन्हे मुन्ने बच्चे हैं दाँत हमारे कच्चे हैं, हम भी लड़ने जाएँगे कट जाएँगे, मर जाएँगे, भारत की शान बढ़ाएँगे। आज़ादी को हमने पाया, बड़े-ब…
कितने वीर क़ुर्बान हुए - कविता - डॉ॰ कंचन जैन 'स्वर्णा'
आज़ादी की ख़ातिर कितने वीर क़ुर्बान हुए, कितनों ने अपने घर के दीए खोए, कितने ही शहीद हुए। यूँ ही नहीं मिली आज़ादी, हे भारतवासीयों! कितनी ह…
आज़ादी - कविता - ऊर्मि शर्मा
कई बरसों से था वो साथ मेरे। मेरी खिड़की से मेरे पास आना, हमेशा के लिए, मेरा साथी हो जाना। दिन में घर से निकल, शाम होते ही लौट आना, ब…
विषय, विचार और कामनाओं से मुक्ति ही स्वतंत्रता है - लेख - आर॰ सी॰ यादव
नीतिगत निर्णय लेना मनुष्य का स्वाभाविक गुण है। यह एक ऐसी नैसर्गिक प्रतिभा जिसके बिना पर मनुष्य अपने गुण-अवगुण, यश-कीर्ति, हानि-लाभ और …
आज़ादी - कविता - पशुपतिनाथ प्रसाद
इस तिरंगा की रक्षा में हम कितने ख़ून बहाएँ हैं, लाखों मस्तक बलिदान हुए तब आज़ादी हम पाएँ हैं। कितनी माँगों का सिंदूर इस आज़ादी में दान हु…
यक्ष प्रश्न - लेख - रामासुंदरम
स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगाँठ, राष्ट्र बड़ी जोर शोर से मना रहा है। हर तरफ़ प्रसन्नता एवं उल्लास का माहौल है। देशभक्ति के नाम पर एक स्फूर्…
स्वतंत्रता - कविता - सरिता श्रीवास्तव 'श्री'
पन्द्रह अगस्त सन् सैंतालीस, भारत में आज़ादी आई। स्वतंत्र भारत की पताका, फर फर फर फहराती आई। तिरंगा भारत की जान है, भारतीयों का सम्मान ह…
आज़ादी - लघुकथा - सुनीता रानी राठौर
राजू अपने पिता के साथ उदास बैठा था। घर के आसपास पूरे गाँव में बाढ़ का पानी भरा था। चार महीने से कोरोना के वजह से स्कूल की छुट्टी थी…
आजादी का जश्न - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
ये अनमोल दिवस है प्यारे जन मन को ये ही समझाओ। सब मिलकर के नाचो गाओ आजादी का जश्न मनाओ।। कण कण में उल्लास है फैला जन जन में हर्…
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