संदेश
क्या मिलेगा युद्ध से संसार को - ग़ज़ल - प्रवेन्द्र पण्डित
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन तक़ती : 2122 2122 212 क्या मिलेगा युद्ध से संसार को, रोक लो अब क्रोध के विस्तार को। चाहते हो शत्रु…
आओ हम मतदान करें - कविता - प्रभात पांडे
शिक्षा, दीक्षा और चिकित्सा इनके साधन अब बटे बराबर, असन, वसन, आवास सुलभ हों साँसें पलें न फुटपाथों पर। पूर्ण व्यवस्था बने समुज्ज्वल …
लोकतंत्र का महापर्व - कविता - रमाकान्त चौधरी
अपने मत का उचित प्रयोग करके हमें दिखाना है, लोकतंत्र के महापर्व को मिलकर सफल बनाना है। सरकार बनाने की ख़ातिर हमको ये अधिकार मिला, मत ह…
निभा फ़र्ज़ अपना मनुज - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
क़र्ज़ चुका सब स्वार्थ में, नहीं बड़ा सत्काम। दिया जन्म अस्तित्व जो, पिता मातु सम्मान।। पूत रहे सुख चैन से, मातु पिता नित चाह। हो पूर्ण न…
नशा - कविता - कवि दीपक झा 'राज'
उठ रहा धुँआ जल रहा परिवार, लेकिन मौन बैठकर देख रहा संसार। क्यों जानकर हम बन जाते अनजान, गुटका, खैनी, मदिरा का करते हैं पान। भटके को रा…
जाति-पाँति - कविता - सिद्धार्थ गोरखपुरी
जाति-पाति में मत उलझो, रहना है हमें हर ठाँव बराबर। सिर के ऊपर सूरज तपता, तो पाँव के नीचे छाँव बराबर। चमड़े का है रंग अलग पर लहू एक जैसा…
समता के वाहक बनो - कविता - गणेश भारद्वाज
मानव तूने भूखंड बाँटे बाँटे सब नदियाँ नाले, मानव को मानव न समझा भ्रम कितने ही मन में पाले। मैं बादल हूँ नील गगन का मुझको बाँटो तो मैं …
ज़िंदा हो तो नज़र आओ - कविता - जयप्रकाश 'जय बाबू'
ज़िंदा हो? ज़िंदा हो! तो नज़र आओ। आँखें चार करो नज़र मिलाओ, ज़िंदा हो? ज़िंदा हो! तो नज़र आओ। बचपन के संग खिलखिलाना, बूढ़ों का दर्द बन जाना…
जन्म सफल हो जाएगा - कविता - अंकुर सिंह
मिला मानव जीवन सबको, नेक कर्म में सभी लगाएँ। त्याग मोह माया, द्वेष भाव, प्रभु भक्ति में रम जाएँ।। मंदिर मस्जिद या गुरुद्वारा, निज धर्म…
कौमी एकता - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
आपस मे अब युद्ध न करना, ऐ! भारत माता के लालों। बैरी देश हँसेंगे तुम पर, वो सोचेंगे लाभ उठा लो। आपस के मतभेद मिटा दो, मुठ्ठी सा बंध जाओ…
अभिनंदन मेहमान का - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
मातु पिता जयगान हो, जय गुरु जय मेहमान। भक्ति प्रेम जन गण वतन, ईश्वर दो वरदान।। अभिनंदन मेहमान का, हो स्वागत सम्मान। मधुर भाष मुख हास …
ख़ुद को ही सर्वश्रेष्ठ न समझें - आलेख - सुधीर श्रीवास्तव
श्रेष्ठ या सर्वश्रेष्ठ होना हमारे आपके जबरन ख़ुद को घोषित करने की ज़िद कर लेने भर से नहीं हो जाता। परंतु ख़ुद को श्रेष्ठ अथवा सर्वश्रेष्ठ…
आस्था - गीत - रमाकांत सोनी
भावों के भँवर में बोलो बहकर कहाँ जाओगे, मंदिर सा मन ये मेरा कभी दौड़े चले आओगे। आस्था की ज्योत जगाकर दीपक जला लेना, भाव भरे शब्द सुमन …
हृदय परिवर्तन - कहानी - अंकुर सिंह
"अच्छा माँ, मैं चलता हूँ ऑफ़िस आफिस को लेट हो रहा है। शाम को थोड़ा लेट आऊँगा आप और पापा टाइम से डिनर कर लेना।" अंकित ने ऑफ़ि…
एक वजह काफ़ी होती है - कविता - सैयद इंतज़ार अहमद
किसी को याद करने की किसी को याद आने की, किसी के दिल की धड़कन को महसूस करके, किसी के ख़्वाब के हिस्से में धीमे से पहुँच के, उसी की होंठ प…
सफ़ाई - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
रखें सफ़ाई गेह हम, स्वच्छ बने परिवार। तभी सफ़ाई देश का, रोगमुक्त आधार।। तजें लोभ इच्छा प्रबल, करें सफ़ाई सोच। मानवता हो भाव मन, हो विचार …
जीव और प्राणी - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
हर जीव, हर प्राणी का जीवन आधार है जल, जंगल, ज़मीन, मानव ही प्राणी कहलाते बाक़ी सब हैं जीव। कहते हैं चौरासी लाख योनियों के बाद फिर मानव त…
पीढ़ी का अंतर - लघुकथा - मंजिरी 'निधि'
हैलो! कैसी है? तबियत तो ठीक है ना? रोहिणी ने कल्पना से पूछा। कल्पना बोली हाँ बस ठीक ही हूँ । बेटा-बहु बच्चों के साथ आज नखराली ढाणी गए …
नशा मुक्ति - कविता - महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता'
ख़ुद भी जागें औरों को जगाएँ, नशामुक्ति अभियान चलाएँ। भूलवश करें न ऐसी करतूत, रहे ना जिससे सेहत मज़बूत। अपनी भूलों को कर क़बूल, अपनाएँ जीव…
सबक़ - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
समय तेज़ी से निकल रहा है सबक़ सीखने की सीख दे रहा है, मगर हम मुग़ालते में जीते हैं, समय का उपहास उड़ाते रहते हैं। अब भी समय है सचेत हो जाए…