मैं रोग हूँ कि दवा हूँ कि इश्क़ हूँ दुआ हूँ - ग़ज़ल - रोहित सैनी

मैं रोग हूँ कि दवा हूँ कि इश्क़ हूँ दुआ हूँ - ग़ज़ल - रोहित सैनी
अरकान: मुफ़ाइलुन फ़यलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
तक़ती: 1212  1122  1212  22

मैं रोग हूँ कि दवा हूँ कि इश्क़ हूँ दुआ हूँ
मैं कौन हूँ जो भटकता हूँ क्या मैं ही ख़ुदा हूँ

कभी लगा कि गए भूल उनको हम, बस! अब!
कभी लगा कि मुहब्बत का मैं तक़ाज़ा हूँ

जी चाहता है उसे पूछ लूँ कि जैसे तू
हसीन दर्द है मेरा, क्या मैं भी तेरा हूँ

पयाम-ए-ज़िंदगी, ख़ुश-ख़ुश हयात-ए-जाविदाँ हूँ
मैं धूप-छाँव-जा-ओ-बेजा-दास्ताँ क्या हूँ

न इंतिज़ार किसी का न आरज़ू कोई
मैं बोलने की हदें पार कर चुकी सदा हूँ

मेरे दुखों को समझते हो! नींद टूटी है
जिसे मैं चाहता हूँ, देखने से रह गया हूँ


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