माता तेरे रूप की, महिमा बड़ी अपार।
जो जन पूजे आपको, करती बेड़ा पार।।
नव रूपों में सज रही, मैया मेरी आज।
जयकारे मन से लगे, दिल में बजते साज।।
लाल चुनर लेकर चलें, हम माता के द्वार।
शेरोवाली से करें, विनती हम हर बार।।
बड़े प्रेम से बोल दो, माता की जयकार।
गूँजे माँ का नाम भी, होती अब झनकार।।
डॉ॰ राजेश पुरोहित - भवानीमंडी, झालावाड़ (राजस्थान)