मिला झूठ को मान - दोहा छंद - संत कुमार 'सारथि'

चमत्कार दिखला रहा, कलयुग में दिन रात।
मिले झूठ को मान है, सच्चाई को मात।।

उलटी गंगा बह रही, देखो करके ध्यान।
सच्चाई मुँह ताकती, मिला झूठ को मान।।

पैसे में सब कुछ बिके, बिकता है ईमान।
सच्चाई ख़ामोश है, मिला झूठ को मान।।

मिला झूठ को मान है, कलयुग की यह रीत।
अपनापन गायब हुआ, हुई तिरोहित प्रीत।।

चौराहे नंगे खड़े, बड़े-बड़े इंसान।
सत्य मरा संकोच से, मिला झूठ को मान।।

अब सच्चे इंसान की, नहीं रही पहचान।
सच घुट-घुट कर जी रहा, मिले झूठ को मान।।

कलयुग में होने लगे, उलटे पुलटे काम।
मिला झूठ को मान है, सत्य हुआ निष्काम।।

संत कुमार 'सारथि' - नवलगढ़ (राजस्थान)

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