संदेश
गीता और ओपेनहाइमर - लेख - प्रतीक झा 'ओप्पी' | भारतीय ज्ञान परम्परा के प्रति ओपेनहाइमर का आदर और वर्तमान सन्दर्भ
भारतीय ज्ञान परम्परा और संस्कृति दुनिया में अपने अद्वितीय दर्शन, सहिष्णुता और आध्यात्मिकता के लिए जानी जाती है। यहाँ की श्रीमद्भगवद् ग…
श्राद्ध पक्ष की प्रासंगिकता - लेख - सुशील शर्मा | पितृपक्ष पर लेख
यह शब्द 'श्रद्धा' से बना है। ब्रह्म पुराण (उपर्युक्त उद्धृत), मरीचि एवं बृहस्पति की परिभाषाओं से यह स्पष्ट है कि श्राद्ध एवं श…
सफलता क्या है? सफलता के नियम
सफलता हर व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह शब्द अपने आप में बहुत व्यापक और बहुमुखी है। सफलता की परिभाषा हर व्यक्त…
कब तक? - लघुकथा - ईशांत त्रिपाठी
तुम रो रहे हो कुशाग्र! पर किसलिए? अकेले यूँ रोना अच्छा नहीं, यह करके तुम मेरे साथ भी धोखा कर रहे हो। कुशाग्र कुन्दन को आश्चर्य भरी नज़…
स्वयं जलो - कविता - संजय राजभर 'समित'
जलो मत न जलाओ किसी को यदि जलाना है तो अंदर के विकारों को जलाओ अप्प दीपो भव: बनो कुंदन बनोगे आत्म चेतना जिस दिन जल गई फिर क्या जलना क्य…
वज़नी बात - कविता - संजय राजभर 'समित'
जोर-जोर से चिल्ला कर अपनी बात मत कहो! क्योंकि छिछले लोग ध्यान देगें गहरे विचारक नहीं, गहन विचार केवल चिंतन-मनन से आती है गहरे विचारक …
शिक्षा, ज्ञान और विद्यार्थी - कविता - सिद्धार्थ 'सोहम'
लगता है हार रहा हूँ मैं, ख़ुद से, या ख़ुद को, जो सपने सँजोए वो शायद मेरे थे ही नहीं, जो हैं तो, लगता है थोपे गए है, बचपन से तुलना मेरी ह…
ग़लतियों को समझ पाना - गीत - उमेश यादव
सुधरने को मन मचलना, साहस कहलात है। ग़लतियों को समझ पाना, हौसले की बात है॥ ग़लतियों से सीख लेना, श्रेष्ठतम सदज्ञान है। ग़लतियों से हारते…
जीवन क्या है? - लेख - श्याम नन्दन पाण्डेय
कुछ शब्दों, चीज़ों या विषयों को परिभाषित करना मुश्किल है जैसे प्रेम, मित्रता और जीवन। इन शब्दों का कोई सार्वभौम परिभाषा नहीं है। इस ले…
तुम कौन हो? - कविता - सुनिल शायराना
एक अदृश्य एवं अलौकिक शक्ति, जो कहीं नहीं है, मगर है, जिसने समस्त ब्रह्मांड का सृजन किया, असंख्य जीवों का निर्माण किया, जो अनादि काल से…
सजगता के प्रति - कविता - डॉ॰ अबू होरैरा
जब मरना ज़रूरी है तो लड़ना भी ज़रूरी है निःशब्द लोगों के लिए जीवन क्या है? केवल एक जीने की प्रक्रिया है आए और गए शब्द वालों के लिए जीवन …
शख़्स वही गुलाब है - गीत - संजय राजभर 'समित'
काँटों के साथ रहे, फिर भी ख़ुशहाल रहे। चुभ जाए, दर्द सहे, शिकवा तक भी न कहे। सहनशील रुआब है, शख़्स वही गुलाब है। क़दम-क़दम जो चँहके,…
ज्ञान बाँटने में नहीं कुछ खोने का डर - कविता - विनय कुमार विनायक
मैं शब्दों का हमसफ़र मैं शब्द की साधना करता हूँ मैं स्वर की अराधना करता हूँ अक्षर-अक्षर नाद ब्रह्म है मैं अक्षर की उपासना करता हूँ! मैं…
सफलता निजी नहीं होती - लेख - श्याम नन्दन पाण्डेय
बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी दें, उनका चरित्र निर्माण करें ईमानदारी और मेहनत करना सिखाएँ। रिश्ते और रिश्तों की क़दर करना सिखा…
समय धारा प्रवाह बहती नदी है - लेख - सुनीता भट्ट पैन्यूली
समय धारा प्रवाह बहती हुई अविरल नदी है जिसकी नियति बहना है जो किसी के लिए नहीं ठहरती है। हाँ! विभिन्न कालखंडों में विभाजित, विविध घाटों…
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