वज़नी बात - कविता - संजय राजभर 'समित'

वज़नी बात - कविता - संजय राजभर 'समित' | Hindi Kavita - Wazani Baat - Sanjay Rajbhar Samit. बात पर कविता
जोर-जोर से चिल्ला कर
अपनी बात मत कहो!
क्योंकि छिछले लोग ध्यान देगें
गहरे विचारक नहीं, 
गहन विचार
केवल चिंतन-मनन से आती है
गहरे विचारक
अपनी बात
सही जगह पर
सही ढंग से सही समय पर
शांत और नम्र होकर कहता है
वज़नी बात
झल्लाकर नहीं रखी जा सकती। 


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