स्वयं जलो - कविता - संजय राजभर 'समित'

स्वयं जलो - कविता - संजय राजभर 'समित' | Hindi Kavita - Swayam Jalo - Sanjay Rajbhar Samit
जलो मत
न जलाओ किसी को
यदि जलाना है
तो अंदर के विकारों को जलाओ
अप्प दीपो भव: बनो
कुंदन बनोगे
आत्म चेतना
जिस दिन जल गई
फिर क्या जलना क्या बुझना? 


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