संदेश
मैं लेखिका हूँ - कविता - आराधना प्रियदर्शनी
जब एहसासों का समंदर उमड़ा हो, जब जज़्बात करवट लेने लगते हैं। जब भावनाओं का सामंजस्य बढ़-चढ़कर, अपना आकार लेने लगते हैं।। जब कोई अपनी स…
लेखनी - कविता - रतन कुमार अगरवाला
उम्र के इस गुज़रते पड़ाव में, लिखना जब शुरू किया मैने। लेखनी से हुई दोस्ती मेरी, ज़िंदगी का नया रूप जिया मैने। भावों को शब्दों में पिरोय…
कविता - कविता - राजेश "बनारसी बाबू"
एक छोटी सी रचना है, एक कवि की परिकल्पना है, कविता दिलों के तार है, कविता शब्दों का भंडार है, कविता कवि की वास्तविकता है, कविता दिलों क…
साहित्यकार श्री सुधीर श्रीवास्तव - कविता - महेन्द्र सिंह राज
गोंडा जिले के बरसैनिया गाँव में स्व. श्री ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव और स्व. विमला देवी के पुत्र के रूप में सन 1969 में अवतरित मूर्धन्य स…
मेरी कविता - कविता - समय सिंह जौल
मेरी कविता स्वअनुभूति है, सहानुभूति नहीं। यथार्थपरक है, मनोरंजनपरक नही। मेरी कविता झकझोरती, झूठी झूमती नही। सच्ची वास्तविक है, कोरी का…
मैं कहीं भी होता हूँ - कविता - सुरेंद्र प्रजापति
मैं कभी भी, कहीं भी होता हूँ, ज़िम्मेवारियों के साथ होता हूँ। बच्चों की ज़रूरतें, गृहस्थी का बोझ, चाहे जहाँ भी होता हूँ, उत्तरदायित्वों …
शिवशरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' - आलेख - विमल कुमार "प्रभाकर"
हिन्दी साहित्य के सुविख्यात वरिष्ठ कवि, लेखक, आलोचक, सुधी सम्पादक शिवशरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' समकालीन साहित्य में लोकप्रिय रच…
अश्रु शब्द - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
मैं कवि या कलमकार नहीं हूँ, आम इंसान हूँ। सुरों, विधाओं से न वास्ता है मेरा, मन की उद्दिग्नता को बस शब्द देता हूँ। गीत, ग़ज़ल, छंद, कवि…
कविता - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
मन के भावों को शब्दों में पिरोते अभिव्यक्ति को आयाम देते शब्दों की माला ही कविता है। कविता का कोई रूप रंग जात पात आकार नहीं है, कविता…
कविता लेखन है कला - दोहा छंद - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
कविता लेखन है कला, विद्या का उपहार। कविगण करते हैं सदा, इस पर जान निसार।। मन के भीतर भाव हो, कर में कलम दवात। नयन युगल में स्वप्न हो, …
कलम चल पड़ती है मेरी - कविता - संदीप कुमार
बस कलम यूँ ही चल पड़ती है मेरी। राह में चलते कभी, किसी का दीदार कर। बेवफ़ाई में कभी, कभी किसी के प्यार पर। भीड़ में कभी, तो कभी रात की तन…
लोग क्या कहेंगे - कविता - गोपाल मोहन मिश्र
लोग क्या कहेंगे? यही सोचकर चुप रहता हूँ? झूठी गिरह मन की बंधन के, बेवजह संकोच लिए फिरता हूँ मन में, अनिर्णय की स्थिति है, असमंजस में ब…
तेरा शैदा हैं कवि - कविता - कर्मवीर सिरोवा
मेरा आशियाना ढूँढती हैं तेरी आँखों का जलना, आओ, देखना शब कहेगी इस घर में चाँद रहता हैं। निगाहों को जब से तेरा दीदार हुआ हैं, अब्तर …
कविता - कविता - अजय गुप्ता "अजेय"
कविता मुहब्बत की ज़ुबान है। कविता बलिदान शोर्य गान है। घृणा उकसावे से दूर, मानवता से भरपूर, साहित्य की यह सच पहचान है। संवेदना धरातल टि…
ओ सुकोमल कविमन - गीत - पारो शैवलिनी
तुमने बहुत से गीत रचे हैं मेरे लिए आज फिर से रचो, कोई गीत नया मेरे लिए, ओ सुकोमल कविमन! रच डालो फिर से गीत नया मेरी कोमल पँखुड़ियों पर…
आधुनिक साहित्यकार - व्यंग्य लेख - सुधीर श्रीवास्तव
नमस्कार दोस्तों! हाँ मैं छपासीय संस्कृति का आधुनिक साहित्यकार हूँ। अब ये आप की कमी है कि अभी तक आप पुरातन युग में ही जी रहे हैं। अरे …
क़लमकार फिर भी लिखता है - कविता - विजय गोदारा गांधी
हर बाज़ार, रहे खाली हाथ, तब पता चला सच कब बिकता है। सो कोशिशें बेकार गई, नसीब से ज़्यादा किसे मिलता है। मेरी तस्वीर में सूरत उनकी, आईना …
प्रेरक बनीं यादें - कविता - अतुल पाठक "धैर्य"
शौक़ शायरी का मुझे यूँ लगा था, दिल को अपना गंवा जो दिया था। आवाज़ उसकी मधुर इतनी लगती, कि उसी की ही धुन में खो मैं गया था। कली जैसी …
घर का रास्ता - कविता - डॉ. अवधेश कुमार अवध
यह कविता अवध की लेखनी से जन सरोकार के महाकवि श्रद्धेय मंगलेश डबराल जी को विनम्र श्रद्धांजलि है। जनकवि मंगलेश डबराल हिंदी के सहज सरल सं…
कवि भाव - कविता - राम प्रसाद आर्य
कवि भाव कविता में, नित भावुक कर देता है। हर अभाव-भाव उर नित, प्रभाव -भाव भर देता है।। कवि कलम-सरासन, शब्द-बान, जब, तरकस भर लेता …