मेरी कविता - कविता - समय सिंह जौल

मेरी कविता स्वअनुभूति है,
सहानुभूति नहीं।
यथार्थपरक है,
मनोरंजनपरक नही।
मेरी कविता झकझोरती,
झूठी झूमती नही।
सच्ची वास्तविक है,
कोरी काल्पनिक नही।
वंचित पीड़िता,
नायक नायिका नहीं।
मेरी कविता संवैधानिक है,
केवल नैतिक नही।
इज़्ज़त अस्मिता है,
बनावटी वेदना नहीं।
बदलाव है,
सहलाब नही।
मेरी कविता यथा विकृति है,
चित्रण प्रकृति नहीं।
जीवन में व्यतीत है,
कल्पना अतीत नहीं।
आक्रोशित है।
संकुचित नहीं।
मेरी कविता उठाती प्रश्न है,
कल्पनाओं की उलझन नही।
व्यथा की बगावत है।
कोरी कहावत नहीं।
क्रूर क्रंदन है,
महिमामंडन नहीं।
मेरी कविता सँजोई संपत्ति है,
संस्कृति नहीं।
ग़रीब की गरिमा है,
महाराज की महिमा नहीं।
बच्चों की बिखलाहत है,
चिड़ियों की चहचहाहट नहीं।।
मेरी कविता धरातल पर खड़ी है,
'जहाँ न पहुँचे रवि' नहीं।
चेहरों की झुर्रियाँ है,
फूलों की बहार नहीं।
ग़रीब की बस्ती है,
मौज मस्ती नहीं।
मेरी कविता खलनायक है,
नायक नहीं।
भूख जूठन है,
पकवान नहीं।
ख़ास है,
हास्य नहीं।
प्रेम प्यार है 
इक़रार नहीं।
मेरी कविता भयावह है,
ताल लय नहीं।
समय की माँग है
स्वाँग नही।
मेरी कविता प्रगतिवादी है,
छायावादी नहीं।।

समय सिंह जौल - दिल्ली

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