कविता - कविता - अजय गुप्ता "अजेय"

कविता मुहब्बत की ज़ुबान है।
कविता बलिदान शोर्य गान है।
घृणा उकसावे से दूर,
मानवता से भरपूर,
साहित्य की यह सच पहचान है।
संवेदना धरातल टिकी शान है।
कविता मुहब्बत की ज़ुबान है।

जाति धर्म सम्प्रदाय से दूर,
भाषा वर्ण अभिप्राय न कूर,
कट्टरता जड़ों में मठ्ठा समान है।
कविता मुहब्बत की ज़ुबान है।

करुणा दया से परिपूर्ण,
श्रंगार रस भी भरपूर,
कविता ज़ख़्म मरहम समान है।
हरदिल अज़ीज़ यह ज़ुबान है।
कविता मुहब्बत की ज़ुबान है।

ओज प्रचंड वेग चूर,
हास्य-व्यंग से भरपूर,
मानवीय दृष्टिकोण अपार है।
साश्वत बह रही काव्य रसधार है।
कविता मुहब्बत की ज़ुबान है।

समाजिक परंपरा आडंबर,
राजनीति छल कपट बबंडर,
कविता मुखर संवेग हर ज़ुबान है।
संस्कार-संस्कृति धरा सम्मान है।
कविता मुहब्बत की ज़ुबान है।

कवि ह्रदय चिंतन मनन,
सारगर्भित शब्द चयन,
कविता में निहित आधार है।
देवनागरी में व्यापक सार है।

साधना है कविता, नही कोई व्यापार है।
अंतर्मन कवि बेदना-संवेदना संसार है।।

अजय गुप्ता "अजेय" - एटा (उत्तर प्रदेश)

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