संदेश
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
१ जुम्मन शेख़ और अलगू चौधरी में गाढ़ी मित्रता थी। साझे में खेती होती थी। कुछ लेन-देन में भी साझा था। एक को दूसरे पर अटल विश्वास था। जु…
आवाज़ फ़ासले भी कहती है - कविता - डॉ॰ नेत्रपाल मलिक
क्षमा कर देना दे जाता है एक अधिकार शक्ति का अहसास और माँगना खड़ा कर देता है पायदान के छोर पर क्षमा उस वृक्ष की कोपलें हैं जिसकी जड़ों मे…
ख़्वाब - कविता - विजय कुमार सिन्हा
अब ख़्वाबों की क्या कहें ये अपने तो होते नहीं पर नज़रों में सदा बने रहते हैं। बेगानी और बेदर्द ज़माने में सदा रंगीन सपने सँजोए रहते हैं।…
परमात्मा है कौन? - कविता - विनय कुमार विनायक
परमात्मा है कौन? पूछो परमात्मा से परमात्मा नहीं है मौन! परमात्मा नहीं कोई व्यक्ति, परमात्मा नहीं कोई अलग शक्ति, परमात्मा है समग्र समष्…
दावा - कविता - विक्रांत कुमार
भूलना सुनियोजित हादसा है और याद करना प्रायोजित षड्यंत्र है हमें नहीं पता कि– हम हादसे का शिकार होने वाले हैं या षड्यंत्र का भुक्तभ…
हिंसा - कविता - रौनक द्विवेदी
हिंसा को ना बनाओ यारों जीवन का हिस्सा, वर्ना बिखर जाओगे जैसे टूट कर शीशा। हिंसा को ना बनाओ यारों जीवन का हिस्सा। आग में उसकी डाल के पा…
याचना - ताटंक छंद - संजय राजभर 'समित'
जीवन क्या है यही समझने, गंगा जल भर लाया हूँ। महादेव! मैं याचक बनकर, तेरे दर पे आया हूँ। बने न बंजर धरती सारी, विष का प्याला पी डा…
हो कर बूँद - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
हो कर बूँद, प्यास धरा की जान सका। क्यों कोयल गाती फिरती है, क्यों रंग उसका काला है। पिय की पुकार रहे सदा, रंग विरह की हाला है। हो कर ब…
मित्र - कविता - राजेश 'राज'
तुम्हारा जब दिल करे फ़ोन या मैसेज के बिना किसी भी समय मुझसे मिलने चले आना, कोई भी औपचारिकता पूरी करने का ख़्याल मन में भूलकर भी मत लाना…
है मित्र ही सुवृंद भी - कविता - राघवेंद्र सिंह
है मित्र ही सुवृंद भी, है इत्र की सुगन्ध भी। चरित्र में प्रबन्ध भी। अनंतकोटि बन्ध भी, है राम वो है, कृष्ण भी, सुदामा की है तृष्ण भी। स…
सफलता निजी नहीं होती - लेख - श्याम नन्दन पाण्डेय
बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी दें, उनका चरित्र निर्माण करें ईमानदारी और मेहनत करना सिखाएँ। रिश्ते और रिश्तों की क़दर करना सिखा…
बेटी - कविता - रमेश चन्द्र यादव
होते संचित पुण्य मानव के, घर मे तब आती है बेटी। बहन भार्या और माता, जाने, कितने रूप निभाती है बेटी। परिवार रहे ख़ुशहाल सदा, वृत और त्यौ…
हो सफल सकल अभिलाष सफ़र - कविता - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
आग़ाज़ सुपथ संकल्प अटल, पुरुषार्थ सुगम बन जाता है। उल्लास नवल धीरज संयम, साफल्य मधुर मुस्काता है। अरुणाभ समुन्नत सोच शिखर, विश्वास ध्…
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