संदेश
तुम्हारे साथ - कविता - प्रवीन 'पथिक'
तुम्हारे साथ, चलना चाहता हूॅं, कुछ क़दम। ठहरना चाहता हूॅं, कुछ क्षण। बताना चाहता हूॅं, अपनी जिजीविषा। डूबना चाहता हूॅं, तुम्हारे रंग मे…
तुम साथ हो जाना - कविता - मेहा अनमोल दुबे
जब रंग अपनी छटा बिखेरें, तुम साथ हो जाना, जब नील गगन सफ़ेद रंग सजाए, तुम साथ हो जाना, अमलतास जब सफ़ेद पीले गुच्छों को धरती पर बिखेरें, …
तुम्हारा साथ - कविता - योगेंद्र पांडेय
टूटते बिखरते सपनों को संभालने के लिए ज़रूरी है तुम्हारा साथ। तुम रहोगे साथ मेरे सह लेंगे हर दुख-सुख रो लेंगे एक पल के लिए तुम्हारे कं…
अगर साथ देते जो - गीत - प्रमोद कुमार
अगर साथ देते जो, तुम भी हमारे, तो रख देते क़दमों में, दुनिया तुम्हारे। सरल सुखदायी, सुन्दर सुशील हो, निर्मल हो पावन ज्यूँ, गंगा के धारे…
मुझे साथ रहने दो - कविता - संजय कुमार चौरसिया
कश्ती डूब जाने दो, किनारा साथ रहने दो। समन्दर सूख जाने दो, रेत के साथ बहने दो। न आया बसंत तो जाने दो, पर पतझड़ साथ रहने दो। कली झुलस ग…
आओ सब एक हो चले - कविता - दीपक राही
मैं कहूँगा, आओ सब एक हो चले। अपने लक्ष्य की और आगे बढ़ चले, फिर कोई आएगा, आपके इरादों को, कुचल कर चला जाएगा, मैं फिर भी कहूँगा, आओ सब …
साथी मेरे - गीत - नृपेन्द्र शर्मा 'सागर'
साथी मेरे, हमदम मेरे, मैं साथ हूँ, हरदम तेरे। दिल में है तू, साँसों में तू, पलकों में हैं, सपने तेरे। साथी मेरे, हमदम मेरे। दुनिया है …
ज़माने में नहीं कुछ बस तुम्हारा साथ काफ़ी है - ग़ज़ल - प्रशान्त 'अरहत'
अरकान : मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन तक़ती : 1222 1222 1222 1222 ज़माने में नहीं कुछ बस तुम्हारा साथ काफ़ी है, बिताने को अवध की शा…
सागर किनारे - कविता - अनिल कुमार
एक शाम अकेले हम-तुम बाँहो में बाँहें डाले एक-दूजे के संग आओ, साथ चले सागर किनारे मेरे जीवनसाथी-हमदम एक संध्या सागर किनारे रेत पे चलते …
संग हमें रहना है - गीत - रमाकांत सोनी
हर मुश्किल संघर्षों को मिलकर हमें सहना है, कुछ भी हो जाए जीवन में संग हमें रहना है। संग हमें रहना है। प्रीत की धारा बह जाए प्रेम सुधार…
आप के साथ - कविता - डॉ॰ सहाना प्रसाद
आप के साथ ज़िंदगी हर लम्हा उत्सव। सुबह दिल ख़ुश रात को शान्त। बातें करती हूँ या चुप रहती हूँ, लगता है दिल की बात बिन कहे समझ ली आपने। एक…
साथ निमाएँ उम्र भर - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
दाम्पत्य प्रणय मन माधवी, माघी माह वसन्त। मनमोहन माधव मधुर, सुरभित सुमन अनन्त।। साथ निभाए उम्र भर, हम जीवन की साज। सतरंगी ग़म या ख़ुशी, प…
तुम्हारा साथ - कविता - गोपाल मोहन मिश्र
तुम्हारा साथ होता है बसंत की तरह, जिसमें मुस्कराती हैं कलियाँ लहलहाते हैं खेत, मचलती हैं हवाएँ इठलाते हैं बादल और उन्ही में से झाँकता …
हमें साथ रहना है - कविता - प्रवीन "पथिक"
हर बार मुझे ही, नतमस्तक होना पड़ता तेरे समक्ष। तुम नहीं झुकती, क्योंकि हिमालय नहीं झुकता। हर बार मेरी ही, आँखें अश्रुपात करती। तुम नही…
आओ मिलकर साथ चले - कविता - नीरज सिंह कर्दम
कुछ दूर तुम चलो कुछ दूर हम चले, मिलकर ये दूरियाँ तय हो जाएँगी। कुछ बोझा तुम उठाओं, कुछ हम उठाएँ, ये बोझा भी कम हो जाएगा। कुछ तुम कहो, …
अपनों का साथ - कविता - पुनेश समदर्शी
साथ अगर हो अपनों का, ये सौगातें क्या कम हैं, खुशियाँ दूनीं हो जातीं, साथ में तुम और हम हैं। रिश्ता लम्बा रखना हो तो, सच ही सच तुम बो…
अपना ही हमसफर जीवन मे साथ निभाये - कविता - चीनू गिरि
अपना ही हमसफर जीवन मे साथ निभाये , दूसरो के हमसफर मे ना हमसफर खोजिये! इंसान नही गलत होता हालात गलत होते है , उसे बेवफा कहने से …
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