अपना ही हमसफर जीवन मे साथ निभाये - कविता - चीनू गिरि

अपना ही हमसफर जीवन मे साथ निभाये ,  
दूसरो के हमसफर मे ना हमसफर खोजिये!
इंसान नही गलत होता हालात गलत होते है ,
उसे बेवफा कहने से पहले एक बार सोचिये!
तुम्हे मालूम हो जाये हम कितना चाहते है ,
कभी हमारे इंतज़ार मे रात भर तो जागिये!
रातों मे यू जागना कोई मेरा शौक नही है ,
किसी को पाकर फिर उसे खोकर देखिये!
एक दर्द है मेरे सीने मे जो मेरी शायरी मे आया,
मेरे अल्फाज़ो को पढकर वाह वाह ना कहिये !

चीनू गिरि - देहरादून (उत्तराखंड)

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