संदेश
वो बरगद - कहानी - देवेन्द्र नारायण तिवारी "देवन"
हर दिन की तरह आज भी मैं और मेरे मित्र सूर्यकांत सुबह सुबह घूमने निकले थे, सुबह की ताज़ी हवा के साथ एक छोटी सी सैर पर हम दोनों प्रतिदिन …
मत काटो पेड़ भाई - गीत - रमाकांत सोनी
कैसी विडंबना हो रही है, पेड़ों की छटा खो रही है। वृक्ष विहिन वन कर दिए, चेतना मनुज की सो रही है। निज स्वार्थ दोहन कर डाला, मचा प्र…
बस बे-हिसाब - कविता - देवेन्द्र नारायण तिवारी "देवन"
तुम काट रहे पेड़ों को क्यों, जो तुम्हें प्राणवायु देते। नहीं स्वार्थ कोई, निस्वार्थ भाव, बस बे-हिसाब आयु देते।। तुमने देखा भी सूरज को,…
चलो लगाएँ वृक्ष हम - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
ख़ुद जीवन का रिपु मनुज, खड़े मौत आग़ाज़। बिन मौसम छाई घटा, वायु प्रदूषित आज।। भागमभागी ज़िंदगी, बढ़ते चाहत बोझ। सड़क सिसकती ज़िंदगी, वाहन बढ़ते…
काटते जंगल - कविता - डॉ. सरला सिंह "स्निग्धा"
काटते जंगल वे बनाते हैं कंकरीटों के फिर महल। उसी में रमते हैं खुशी से जाता मन उसी में बहल। दिलो दिमाग़ पर हावी है धन दौलत की बस चाह। द…
एक वृक्ष की पीड़ा - आलेख - संजय राजभर "समित"
मैं वृक्ष हूँ। प्रकृति का फेफड़ा हूँ, मैं निःसंदेह निःस्वार्थ भाव से प्रकृति के संचालन में अनवरत अथक संघर्ष करता हूँ। फल-फूल, छाँव, लक…
मुझे फ़ख़्र है - कविता - राम प्रसाद आर्य "रमेश"
कभी बीज था जो किसी वृक्ष का, कभी पादप, औ अब वो बृक्ष बन गया। जीता था कभी जो स्वयं के लिए, जीना जनहित अब बस लक्ष बन गया।। वो अठखेलिया…
वृक्षों की ढलान - कविता - विनय "विनम्र"
कभी वादियाँ गुलज़ार थीं, पेड़ों की बस दीवार थी, पक्षियों की चहचहाहट क्षितिज के भी पार थी। हुक्मरानों की सभा या मासूम का हो बचपना, हर किस…
हर शज़र ये कहता है - ग़ज़ल - मनजीत भोला
हर शजर ये कहता है तख़्तियाँ हमारी थी। ये क़लम ये काग़ज़ सब ज़िंदगियाँ हमारी थी।। आज जो महकता है आपका ग़ुसलख़ाना, फूल कल हमारे थे तितलियाँ हमा…
परिवर्तन - कविता - बोधिसत्व कस्तूरिया
मैं पीपल का प्रतिष्ठित पुराना पेड़। प्रतिवर्ष पीत परिधानों को पलटते पलटते प्रियदर्शनी प्रेयसियों को प्रिय हो गया।। परिक्रमा पूर्णकर प्…
वृक्ष संरक्षण - कविता - राम प्रसाद आर्य
वृक्ष से मिलती हवा है साँस लेने के लिए हमको सदा। मधुर रसमय फल व शीतल छाँव, थक जायें यदा।। वृक्ष देते जल हमें, ईंधन जलाऊ, इमारत के का…
पेड़ हैं धरती का सिंगार - गीत - समुन्द्र सिंह पंवार
ये पेड़ हैं धरती का सिंगार । इनको मत काटो मेरे यार ।। ये देते प्राण वायु , और बढ़ाते सबकी आयु , ये हैं जीवन का आधार । इनको मत का…
प्रेम वृक्ष - क्षणिकाएँ - रमेश धोरावत
(१) कब हरा रहा प्रेम वृक्ष..? जिसमें "समर्पण" की जड़ें नहीं होती। (२) कब फ़ूटे प्रेम वृक्ष के "कोंपल" ? जिसको प्र…
पेड़ - कविता - मास्टर भोमाराम बोस
पेड़ हमारे जीवन दाता, पेड़ों से होती बरसात। शीत ताप स्वयं सहते, हमें ठंडी हवा देते। फूल फलों से लदे पेड़, भूखे को भोजन देते पेड़। पक्षियों…
वृक्ष लगाओ वृक्ष बचाओ - पुस्तक समीक्षा - कुन्दन पाटिल
वृक्ष लगाओ वृक्ष बचाओ यह एक साझा संकलन ही नही एक मिशन भी हैं या यू कहें वृक्ष लगाओ वृक्ष बचाओ आंदोलन पर्यावरण, सामाजिक, साहित्यिक प्रो…
वृक्ष का महत्व - कविता - मधुस्मिता सेनापति
वृक्ष जीवन का आधार है देता है जो सबको अपना शीतल छाया वही धरती का श्रृंगार है......!! वृक्ष ईश्वर का वरदान है जो खुशबू से जग क…
बिना फल फूलों वाले वृक्ष भी कम उपयोगी नही होते - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
एक पेड़ की कितनी कीमत है जिसे लिखने के लिए पन्ने कम पड़ जाएंगे, सियाही भी कम पड़ जाएगी। हमारे भारत मे तो तमाम वृक्षो को देवता के …
सावन का वृक्षों के बिना कोई वजूद नहीं - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
यूं तो सावन की अपनी कई पहचाने हैं, कई महत्व हैं, उसमें एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि सावन माह का बेसब्री से इंतजार देश का वन विभाग…