तेज़ धूप में बरगद जैसी छाया माँ।
झुर्री वाली प्यारी प्यारी काया माँ।
मेरे मानस की लहरी में,
सदा सुहागन मेरी माँ।
मेरी जीवन शैली में,
सुरभित मधुवन मेरी माँ।
धन दौलत की प्यासी होगी ये दुनिया,
मेरी जीवन की सारी पूँजी माया माँ।
मेरे सुख में ख़ुश हो जाती,
मेरे दुःख को पीती माँ।
कष्ट कंटकों को हर लेती,
मेरे अंदर जीती माँ।
कर्म योगिनी स्वत्व स्वामिनी,
कर्मठ शक्ति साया माँ।
मेरे बचपन के सपनों को,
अबतक रखे संभाले माँ।
शिशु सा सदा समझती मुझको,
रखे दूध के प्याले माँ।
चरणों में शत शत है वंदन,
ईश्वर की प्रति छाया माँ।
सुशील शर्मा - नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश)