उस आँगन में रहे ना कभी,
सुख-समृद्धि का अभाव।
फलीभूत रहता है जबतक,
माँ की दुआओं का प्रभाव।
जन्मदात्री की आज्ञा का,
जिस घर में हो अनुपालन।
नव पीढ़ी में वहाँ होता सदा,
संस्कारित गुणों का परिपालन।
मातृशक्ति हमारी होती सदा,
कुटुंब समुदाय की आन।
बढ़ाती मांगलिक कार्यों में
खानदानी विरासत की शान।
राह भटकते बच्चों को,
बीच जीवन में है टोकती।
जो कर्तव्य पथ हो अडिग
उन्हें बढ़ने से नहीं रोकती।
देवें सदैव उन्हें सम्मान,
जीओं चाहे अपने उसूल।
हृदय विह्वल हो उनका,
करें न कभी ऐसी भूल।..
महेंद्र सिंह कटारिया - नीमकाथाना (राजस्थान)