परिभाषा नारी कठिन - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'

परिभाषा नारी कठिन - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | Dohe - Paribhasha Nari Kathin, माँ पर दोहे। Maa Doha
परिभाषा नारी कठिन, महिमा कठिन बखान। 
हे अम्बा धरणी जयतु, कठिन मातु सम्मान॥ 

लज्जा श्रद्धा मातृका, ममतांचल संसार। 
क्षमा दया करुणा हृदय, मातृशक्ति उपहार॥ 

नार्य जगत यथार्थता, है दुनियाँ अनजान। 
थके व्यास लेखन समय, गणपति करे बखान॥ 

परिवर्तन जीवन जगत, समय चक्र बलवान। 
किन्तु अम्ब ममता हृदय, अक्षय अगम समान॥ 

संवेदन नारी प्रकृति, सहनशीलता नाम। 
नवधा शक्ति मातु की, वात्सल्य सुखधाम॥ 

काली लक्ष्मी शारदे, त्रिविध शक्ति अवतार। 
सुता स्वसा सहधर्मिणी, स्नेह क्षीर रसधार॥ 

समता मय माँ की प्रकृति, जो भी हो सन्तान। 
प्रेमांचल वात्सल्यता, नारी विधि वरदान॥ 

माँ की ममता छाँव बन, दे शीतल सुख  चैन। 
तनिक घाव भी पूत को, अश्क बहाती नैन॥ 

प्रेम सिन्धु माँ हृदय तल, भाव सरित जल मेल। 
क़ुर्बानी दे ज़िंदगी, सन्तति करती खेल॥ 

लज्जा श्रद्धा पूजिता, जीवन जग आधार। 
समता ममता निर्मला, सदाचार माँ सार॥ 

सुगम नहीं माँ ज़िंदगी, बहु बाधा संघर्ष। 
संयम धीरज आत्मबल, दे ममता उत्कर्ष॥ 

कलाकार सर्जक जगत, महिमा अपरंपार। 
सुख वैभव सुष्मित धरा, मातृ सृष्टि उपहार॥ 

नारी अनुपम सर्जना, है संवेदनशील। 
सहनशील हर आपदा, निर्मल नभ सम नील॥ 

पालक पोषक धारिका, सम्वाहक सन्तान। 
मानसरोवर प्रेम जल, अवगाहन सुत शान॥ 

समता ममता अम्बिका, प्रेम सुधा मधुशाल। 
कठिन मातु हिय वर्णना, लेखन कवि बदहाल॥ 

माँ तुझको सादर नमन, तू करुणा रस धार। 
यादों माँ गुलज़ार माँ, थी सन्तति शृंगार॥ 


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