सुनील गुप्ता - गायघाट, बक्सर (बिहार)
वही तो मेरी माता है - कविता - सुनील गुप्ता
शनिवार, मई 11, 2024
ममता की आँचल में जिसने,
छुपा कर मुझको पाला है,
असीम विपत्तियाँ सहकर भी,
मेरे जीवन को संभाला है,
दुःख भी जिनके सामने आकर,
अपना सर झुकाता है,
वही तो मेरी माता है,
वही तो मेरी माता है।
मेरी किलकारियो को सुन जिसने,
अपनी हृदय गति बढ़ाया है,
उठते-गिरते क़दमों को मेरे,
जिसने संभलना सिखाया है,
ज़िम्मेदारी भी जिनके सामने आकर,
अपना सर झुकाती है,
वही तो मेरी माता है,
वही तो मेरी माता है।
शब्द रचना भरकर जिसने,
मेरे कंठो को सँवारा है,
जीवन पथ पर आगे बढ़ने को,
जिसने पाठ पढ़ाया है,
गुरु भी जिनके सामने आकर,
सजदे सर झुकाता है,
वही तो मेरी माता है,
वही तो मेरी माता है।
मेरी हर इच्छाओं को जिसने,
अपनी पलकों पर सजाया है,
आने वाली हर संकट को जिसने,
अपने आँचल से हटाया है,
इन्तेहा भी जिनके सामने आकर,
अपना शीश झुकाता है,
वही तो मेरी माता है,
वही तो मेरी माता है।
मेरी ग़लतियों को माफ़ कर जिसने,
अपने हृदय से लगाया है,
मेरी सलामती की ख़ातिर जिसने,
संसार को भी बैरी बनाया है,
ख़ुदा भी जिनको नतमस्तक होकर,
सजदे सर झुकाता है,
वही तो मेरी माता है,
वही तो मेरी माता है।
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