संदेश
नव हिन्दी नव सर्जना - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | हिंदी दिवस पर दोहे
माथे की बिंदी वतन, हिंदी है अविराम। हिन्दीमय सारे जहाँ, भारत है सुखधाम॥ प्रमुदित है संस्कृत सुता, पुण्य दिवस पर आज। हिन्दी हिन्दुस्…
रक्षा बन्धन या राखी - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | रक्षाबंधन पर दोहे
आज श्रावणी पूर्णिमा, राखी का त्यौहार। उत्सव भाई बहन का, प्रेम सरित रसधार॥ कच्चा धागा प्रेम का, पक्का धागा प्रीति। भाई बहन अद्भुत मिलन,…
युवा आह्वान गीत - ताटंक छंद - अभिषेक श्रीवास्तव 'शिवा'
देश की रक्षा की ख़ातिर मैं, युवा जगाने आया हूॅं। राष्ट्रभक्ति का अब मैं सबको, बोध कराने आया हूॅं॥ कलमकार बन फ़र्ज़ निभाता, मैं अब वीर …
आज़ादी हमको मिली - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | स्वतंत्रता दिवस पर दोहे
सावन मनभावन सरस, सुरभित हवा प्रवाह। बलिदानों की याद बन, आज़ादी उत्साह॥ आज शहीदों को नमन, त्याग तपस्या मंत्र। आज़ादी हमको मिली, सार्वभौम …
घुमड़-घुमड़ घनघोर घटा छाए रही - मनहरण घनाक्षरी छंद - राहुल राज
घुमड़-घुमड़ घनघोर घटा छाए रही, स्वेत घन श्याम बन गगन गर्जन लगे। लगत है बच रहे इन्द्र के नगाड़े आज, दानव दलन देव रण में सजन लगे। उमड़ प…
मेघ, सावन और ईश्वर - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | सावन पर दोहे
बरसी सावन की घटा, गरजे मेघ प्रचण्ड। ईश्वर शिव पूजन जगत, भारत बने अखण्ड॥ सती नाथ झूला झुले, सावन पावस मास। भूत प्रेत नंदी स्वजन, ना…
पुण्य भाग्य आगम अतिथि - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
अतिथि देवता तुल्य है, चिर पूजित संसार। मान दान सेवा नमन, ईश्वर का अवतार॥ अतिथि गेह आगम सुखद, पावन मिलन सुयोग। कुशल क्षेम चर्चा विवि…
ज्ञान दीन - घनाक्षरी छंद - महेश कुमार हरियाणवी
उसे घर से निकाला घर जिसने संभाला। पढ़े-लिखे बगुलों का काला किरदार है। माया जिन पे चढ़ादी देह अपनी लुटादी। बोलियाँ वे बोलते की पैसा सरदार…
सुनो तनिक राधा सखी - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
सुनो तनिक राधा सखी, लाओ मधुरिम हाथ। गाओ मुरली आज तू, मैं हूँ गैया साथ॥ लीलाधर यशुमति लला, समझ रही तुझ चाल। मैं तेरी जीवन सखी, नहीं …
साँच कहूँ सुन साथ चले सब - सवैया छंद - महेश कुमार हरियाणवी
साँच कहूँ सुन साथ चले सब, बात यही सब को बतलाना। जीवन में मतभेद नहीं रख, द्वेष कहाँ तक है टिकपाना। बादल भी कितना ठहरे नभ, आख़िर तो ध…
परिभाषा नारी कठिन - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
परिभाषा नारी कठिन, महिमा कठिन बखान। हे अम्बा धरणी जयतु, कठिन मातु सम्मान॥ लज्जा श्रद्धा मातृका, ममतांचल संसार। क्षमा दया करुणा हृदय…
बढ़ते रहो पथिक सदा - कुण्डलिया छंद - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
बढ़ते रहो पथिक सदा, धरि धीरज की डोर। स्नेह प्रेम ममता लिए, सबहिं रखो हृद कोर॥ सबहिं रखो हृद कोर, शान्ति संयम को धारो। सीखो सहना पीर, अ…
ऋतुओं का महत्त्व - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
सुष्मित कुसुमित प्रकृति यह, सुरभित जीवन लोक। सूरज चंदा अहर्निश, हरे तिमिर जग शोक॥ षड् ऋतुओं में प्रकृति सज, विविध रूप शृङ्गार। शीता…
सम्मान - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
सदाचार शिक्षण मिले, शिक्षा नैतिक ज्ञान। मानवीय मूल्यक सदा, मिले कीर्ति सम्मान॥ सबकी चाहत लोक में, मिले समादर मान। कर्मवीर सच सारथी, से…
करो मात-पिता सेवा - मनहरण घनाक्षरी छंद - अजय कुमार 'अजेय'
करो मात-पिता सेवा, मिले जीवन मे मेवा, ऐसे महानुभाव का, भाग्योदय मानिए। सदा सेवा भाव रखे, मान सम्मान भी करे, जग में सबसे बड़ा, बादशाह ज…
अमर वीर जवान - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
राष्ट्र शौर्य बलिदानियों, भारत सैन्य जवान। तन मन धन अर्पण स्वयम्, जीवन अमर महान॥ नमन सैन्य की वीरता, नमन साहसी धीर। करे देश सीमांत …
प्रेम के रूप अनेक - सरसी छंद - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'
लेकर हाथ चाय का प्याला, खड़ी नारि सुकुमारि। खन-खन बाजे चूड़ी कंगन, पद पैजनि झंकारि॥ कमर बाँध स्वर्णिम करधनियाँ, बाजु बंद सरकार। नाक नथु…
प्रेम - सवैया छंद - सुशील कुमार
प्रेम न होत जो भ्रात को भ्रात से तौ पद त्राण न राज चलाते। प्रेम न होत जो भक्त से ईश को तौ शबरी फल जूठ न खाते॥ प्रेम न होत जो राम को सी…
सभी सुखी चहुँ मुख प्रगति - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
मानव जीवन चिर प्रगति, ग्रन्थ सनातन वेद। ज्ञान कर्म परहित जगत, शान्ति प्रेम संवेद॥ ज़िम्मेदारी सभी की, जन भारत उत्थान। प्रगतिशील आगम …
शरदाकुल कुहरा प्रलय - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
शरदाकुल कुहरा प्रलय, अगहन पूस बसात। सिहराती तनु अस्थियाँ, कौन सुने जज़्बात॥ विषम शीत कुहरा गहन, कहाँ वस्त्र तनु दीन। आज़ादी हीरक बरस,…
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