संदेश
नहीं चाहता आसाँ हो जीवन - कविता - मयंक द्विवेदी
चाहे सौभाग्य स्वयं हो द्वार खडे, चाहे कर्ता भी हो भूल पड़े, नहीं चाहता आसाँ हो जीवन, चाहे मग में हो शूल गढ़े। जो पत्थर होऊँ तो नींव मिल…
आशंका - कविता - प्रवीन 'पथिक'
एक घना अँधेरा! मेरी तरफ़ आता है मुँह बाए, और ढक देता सम्पूर्ण जीवन को; अपनी कालिमा से। किसी सुरंगमय कंदराओं में से, सिसकने की आवाज़ आती…
तो ज़िंदगी है - कविता - ऋचा सिंह
धूप में खोजे है छाँव, छाँव में गुमसुम-सी है ये अनमनी जो है तो ज़िंदगी है। रात में करवट जो बदले भोर भए उम्मीद-सी है, ये आस जो है तो ज़िं…
जीवन क्या है - कविता - रूशदा नाज़
माँ घर की ज़िम्मेदारियाँ निभाती देर रात वह थक कर सोती तब समझ आया जीवन क्या है पिता घर से दूर रहता, या सुबह जाता शाम आता उसके संघर्षों …
अप्प दीपो भवः - कविता - संजय राजभर 'समित'
छोटी सी है ज़िंदगी सूझबूझ से चल बेतहाशा मत भाग किसी के पीछे पता चला वो अँधेरे में था तू भी– धार्मिक सच जो कल तक सच था उसे विज्ञान आज झू…
जिया ही नहीं - कविता - प्रवीन 'पथिक'
ज़िंदगी में बहुत कुछ मिल सकता था, लिया ही नहीं! चाहता था खुल कर जीऊँ, पर जिया ही नहीं। घुट-घुट कर जीता रहा, इच्छाओं को दबा के। कोई मिल…
जीवन क्या है? - लेख - श्याम नन्दन पाण्डेय
कुछ शब्दों, चीज़ों या विषयों को परिभाषित करना मुश्किल है जैसे प्रेम, मित्रता और जीवन। इन शब्दों का कोई सार्वभौम परिभाषा नहीं है। इस ले…
जीवन के गीत - कविता - सुरेन्द्र प्रजापति
1 एक उम्मीद है आशा है क्या चाह हृदय में पलता है पल्लवित होते छिपे भावों में कौन खाधोत सा जलता है एक विश्राम तक जाते-जाते भूल जाता हूँ …
जीवन अनुभव - कविता - राजेश 'राज'
जीवन की पुस्तक में देखा, चंद पंक्तियाँ लिखी गई हैं। पर बड़ी सार्थक वे सारी हैं, बमुश्किल दो ही पढ़ी गईं हैं॥ कर्मों का लेखा था गूढ…
जीवन में एक क्षण ऐसा आता है - कविता - रूशदा नाज़
एक क्षण ऐसा आता है कई वर्ष के संघर्षों के बाद मिलती असफलताएँ, निराशाओं को हम आनंद के रूप में लेते हैं आज नहीं तो कल अच्छा होगा स्वप्न …
बदलो जीवन चरित को - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
बदलो जीवन चरित को, भर पौरुष सतरंग। रखो भाव पावन हृदय, भारत भक्ति उमंग॥ बढ़ो अटल संकल्प पथ, बनो राष्ट्र पहचान। परमारथ पौरुष सफल, परह…
सजगता के प्रति - कविता - डॉ॰ अबू होरैरा
जब मरना ज़रूरी है तो लड़ना भी ज़रूरी है निःशब्द लोगों के लिए जीवन क्या है? केवल एक जीने की प्रक्रिया है आए और गए शब्द वालों के लिए जीवन …
ख़ामोश ज़िन्दगी - कविता - प्रवीन 'पथिक'
हर सुबह! एक ख़ामोश ज़िन्दगी लेकर आती है। जिसे न जीने की चाह होती है; न खोने का अफ़सोस। चेहरे पर, एक झूठी मुस्कुराहट टाॅंगे; दिन बी…
बीमारी - कविता - विनय विश्वा
बीमारी में शरीर चारों खाने चित्त हो जाती है बस आत्मा रहती है विचार धीरे धीरे सुप्त होने लगती है जितना अब तक जीवन जिया है उसका पुनर्चक…
जीवन - कविता - सिद्धार्थ गोरखपुरी
तन में है अगन जीने की, इच्छा का तिल-तिल मरना। सत्य-पोश लोगों का, यूँ पल-पल रोज़ बदलना। कहा-सुना सब त्यागे? और ख़ुद से कहना सीखें। जीवन क…
ज़िंदगी इक खेल है - कविता - इन्द्र प्रसाद
ज़िंदगी इक खेल है अनुपम खिलौना चाहिए। सुख यहाँ पर हो न हो पर दुख होना चाहिए॥ फूल भी हैं शूल भी जीवन सरीखे बाग़ में, हम उन्हीं के मध्य जी…
किसी की ज़िन्दगी क़ायम नहीं है - ग़ज़ल - नागेन्द्र नाथ गुप्ता
अरकान : मुफा़ईलुन मुफा़ईलुन फ़ऊलुन तक़ती : 1222 1222 122 किसी की ज़िन्दगी क़ायम नहीं है, मगर जो आज है हरदम नहीं है। किसी से पूछिए…
ऐ ज़िंदगी! तू सहज या दुर्गम - कविता - श्याम नन्दन पाण्डेय
सही कहती थी अम्मा (मेरी माँ)– यूँ बात-बात पर ग़ुस्सा ठीक नहीं। इक दिन तो बढ़नी से पीटा गया। अपनी मर्ज़ी से ज़िंदगी नहीं चलती, झुकना और सहन…
तुम अजेय हो - कविता - गिरेन्द्र सिंह भदौरिया 'प्राण'
सुनो! स्वयं के विश्वासों पर, ही जगती में टिक पाओगे। गांँठ बाँध लो मूल मन्त्र है, यही अन्यथा मिट जाओगे॥ साहस-शुचिता से भूषित तुम, धरत…
हो सफल सकल अभिलाष सफ़र - कविता - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
आग़ाज़ सुपथ संकल्प अटल, पुरुषार्थ सुगम बन जाता है। उल्लास नवल धीरज संयम, साफल्य मधुर मुस्काता है। अरुणाभ समुन्नत सोच शिखर, विश्वास ध्…