यही पल तुम्हारा है - कविता - डॉ॰ रवि भूषण सिन्हा

यही पल तुम्हारा है - कविता - डॉ॰ रवि भूषण सिन्हा | Hindi Kavita - Yahi Pal Tumhara Hai | जीवन पर कविता
यही पल तुम्हारा है
जो पल जी रहे हो,
यही पल तुम्हारा है।
कल का किसको पता!
व्यर्थ इसकी चिंता कर,
ज़िन्दगी गॅंवा रहे हो।‌

ख़्वाहिशें बहुत रही,
उसमें कुछ पूरा हुआ।
जो रह गया अधूरा,
कहाॅं वो कभी पूरा हुआ।
व्यर्थ में इसकी चिंता कर,
ज़िन्दगी गॅंवा रहे हो।

जो पल जी रहे हो,
यही पल तुम्हारा है।
कल का किसको पता!
व्यर्थ इसकी चिंता कर, 
ज़िन्दगी गॅंवा रहे हो।‌

साथ बहुतों का था,
अभी भी उसमें कुछ साथ हैं।
साथ जो धरती का छोड़ गए,
आना कहाॅं उनका संभव हुआ।
व्यर्थ में उनका इंतज़ार कर,
सच्चाई को झुठला रहे हो।

जो पल जी रहे हो,
यही पल तुम्हारा है।
कल का किसको पता!
व्यर्थ इसकी चिंता कर,
ज़िन्दगी गॅंवा रहे हो।‌

समय बहुत मिला,
कुछ का उपयोग हुआ।‌
जो पल बेकार गया,
कहाॅं उसका लौटना हुआ।
व्यर्थ बीते पल पर अफ़सोस कर,
वर्तमान को बर्बाद कर रहे हो।

जो पल जी रहे हो,
यही पल तुम्हारा है।
कल का किसको पता!
व्यर्थ इसकी चिंता कर,
ज़िन्दगी गॅंवा रहे हो।‌


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