डॉ॰ रवि भूषण सिन्हा - राँची (झारखंड)
यही पल तुम्हारा है - कविता - डॉ॰ रवि भूषण सिन्हा
गुरुवार, अक्टूबर 23, 2025
यही पल तुम्हारा है
जो पल जी रहे हो,
यही पल तुम्हारा है।
कल का किसको पता!
व्यर्थ इसकी चिंता कर,
ज़िन्दगी गॅंवा रहे हो।
ख़्वाहिशें बहुत रही,
उसमें कुछ पूरा हुआ।
जो रह गया अधूरा,
कहाॅं वो कभी पूरा हुआ।
व्यर्थ में इसकी चिंता कर,
ज़िन्दगी गॅंवा रहे हो।
जो पल जी रहे हो,
यही पल तुम्हारा है।
कल का किसको पता!
व्यर्थ इसकी चिंता कर,
ज़िन्दगी गॅंवा रहे हो।
साथ बहुतों का था,
अभी भी उसमें कुछ साथ हैं।
साथ जो धरती का छोड़ गए,
आना कहाॅं उनका संभव हुआ।
व्यर्थ में उनका इंतज़ार कर,
सच्चाई को झुठला रहे हो।
जो पल जी रहे हो,
यही पल तुम्हारा है।
कल का किसको पता!
व्यर्थ इसकी चिंता कर,
ज़िन्दगी गॅंवा रहे हो।
समय बहुत मिला,
कुछ का उपयोग हुआ।
जो पल बेकार गया,
कहाॅं उसका लौटना हुआ।
व्यर्थ बीते पल पर अफ़सोस कर,
वर्तमान को बर्बाद कर रहे हो।
जो पल जी रहे हो,
यही पल तुम्हारा है।
कल का किसको पता!
व्यर्थ इसकी चिंता कर,
ज़िन्दगी गॅंवा रहे हो।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर

