रूशदा नाज़ - वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
ख़ुद को ढूँढ़ने की राह - कविता - रूशदा नाज़
मंगलवार, जून 10, 2025
हर शख़्स को यादों में रोते देखा है व्यथित होकर ख़ुद को सम्भालतें देखा है
ख़ुद से प्यार करने की सलाह सब देते है
प्रेम में बिखरने के बाद ये बदलाव आते है
कभी रोया बहुत टूटा निभाया भी बहुत दिल से
पर न जाने क्यूँ हमारे हिस्से कभी कुछ नहीं आया
शिद्दत से किया प्यार, ख़ुद को समर्पित कर डाला
बदले में कुम्हलाने का अवसर दे डाला
टूटने, बिखरने का एहसास जीवन को सँवारने आते हैं
इसी को मैंने ज़िंदगी का मक़सद बना डाला।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर