ख़ुद को ढूँढ़ने की राह - कविता - रूशदा नाज़

ख़ुद को ढूँढ़ने की राह - कविता - रूशदा नाज़ | Hindi Kavita - Khud Ko Dhundhne Ki Raah. Hindi Poem On Life. जीवन पर कविता
हर शख़्स को यादों में रोते देखा है व्यथित होकर ख़ुद को सम्भालतें देखा है
ख़ुद से प्यार करने की सलाह सब देते है
प्रेम में बिखरने के बाद ये बदलाव आते है
कभी रोया बहुत टूटा निभाया भी बहुत दिल से
पर न जाने क्यूँ हमारे हिस्से कभी कुछ नहीं आया
शिद्दत से किया प्यार, ख़ुद को समर्पित कर डाला
बदले में कुम्हलाने का अवसर दे डाला
टूटने, बिखरने का एहसास जीवन को सँवारने आते हैं
इसी को मैंने ज़िंदगी का मक़सद बना डाला।


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