समझो जीवन मुस्कान खिले - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'

समझो जीवन मुस्कान खिले - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | Hindi Geet - Samjho Jeevan Muskaan Khile. जीवन पर कविता
पूर्ण सकल मन आश विभव सुख,
जब ख़ुशियों का अंबार खिले।
हर उदास मुख महके राहत,
समझो जीवन मुस्कान खिले।

काश हृदय अभिलाषा झंकृत,
पुरुषार्थ वृक्ष परमार्थ फले।
शिक्षा किरणें आलोक भोर, 
नव सोच प्रगति देशार्थ खुले। 

सुख शांति कांति हो तभी धरा,
क्षुधार्त्त तृषा जन आम मिटे।
तन वसन गेह छत लावारिस,
स्वाधीन भाव उल्लास भरे।

जप तप योग धर्म निर्वाह कठिन,
हिय क्लान्ति क्रान्ति विश्रान्ति मिले।
हो चहुँ समुन्नत जन गण मानस,
देश भक्ति शक्ति यश कान्ति खिले।

नर-नारी समादर एकभाव,
शिक्षा सत्ता सुख मान मिले।
शील त्याग कर्म नत विनत अभय,
मानवता न्यायिक भान मिले।


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