जीवन का गणित - कविता - आर॰ सी॰ यादव

जीवन का गणित - कविता - आर॰ सी॰ यादव | जीवन के गणित पर कविता | Hindi Poem on Lifes Math
उलझा हुआ गणित जीवन का
दो-दो चार नहीं हो पाते।
कर्म बिना जीवन का सुख
कभी कहाँ, किसको मिल जाते॥

टूट गए सब दिल के अरमाँ
सपने तितर-बितर हो जाते।
व्यथित हृदय की मायूसी से
अश्रु पलक पर हैं जाते॥

जीवन का पथ बड़ा जटिल है
कौन यहाँ संपूर्ण बना है।
रुक जाते पग उठे डगर में
कुहरा छाया यहाँ घना है॥

आर॰ सी॰ यादव - जौनपुर (उत्तर प्रदेश)

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