सनम बेवफ़ा तू दामन छोड़ दे ,
दिए ज़ख़्म गमों पे मुझे छोड़ दे,
ढाए सितम को जरा याद करना,
रहना खुश सदा तुम मुझे छोड़ दे ।
मैं थी कयामत कुदरती नूर तेरा ,
बनायी मैं आशिक सभी छोड़ के,
खुद बदली तुमने फ़ितरत वफाई,
दिल दर्दे सितम पे मुझे छोड़ दे।
ख्वाईश बहुत थीं सपने तराने ,
इश्की कशिश नैन भर के लड़ाने,
तन मन समर्पित तुझे दिल दे बैठी,
छलिया मेरे हाल मुझे छोड़ दे।
सजायी गुलिस्तां दिल के महल में ,
कसमें खाई जन्मों निभाने,
बने एक दूजे हमदम सफ़र के,
दगाबाज़ सनम तू वफा़ तोड़ के।
भुलाना मुझे तुम अहशान कर दो,
ज़ख़म न कुरेदो अब भी बख़स दो,
उजाड़े चमन को महक फूल प्यारे,
कोई आरजू अब सनम छोड़ दे।
किया माफ़ तुझको सारे गुनाहें ,
रमो महफ़िलें फिर जीवन तराने,
मुहब्बत दिली न जताना किसी को,
चली ख़ुद की राहें सजन छोड़ दे।।
डॉ.राम कुमार झा "निकुंज"नयी दिल्ली