सनम बेवफ़ा - ग़ज़ल - डॉ.राम कुमार झा "निकुंज"


सनम बेवफ़ा तू  दामन  छोड़ दे ,
दिए ज़ख़्म गमों  पे मुझे छोड़ दे, 
ढाए सितम को जरा याद करना,
रहना खुश सदा तुम मुझे छोड़ दे ।

मैं   थी  कयामत  कुदरती नूर  तेरा ,
बनायी  मैं  आशिक सभी  छोड़ के,
खुद बदली तुमने  फ़ितरत  वफाई,
दिल दर्दे  सितम  पे  मुझे  छोड़  दे। 

ख्वाईश  बहुत  थीं  सपने  तराने ,
इश्की कशिश नैन भर के  लड़ाने, 
तन मन समर्पित तुझे दिल दे बैठी, 
छलिया  मेरे  हाल  मुझे   छोड़  दे।

सजायी गुलिस्तां दिल के महल में , 
कसमें    खाई     जन्मों    निभाने, 
बने   एक   दूजे  हमदम  सफ़र के, 
दगाबाज़  सनम तू वफा़  तोड़  के। 

भुलाना मुझे तुम अहशान कर दो,
ज़ख़म न कुरेदो अब भी बख़स दो,
उजाड़े चमन को महक फूल प्यारे,
कोई आरजू अब  सनम  छोड़   दे। 

किया माफ़  तुझको  सारे   गुनाहें , 
रमो  महफ़िलें  फिर  जीवन तराने, 
मुहब्बत दिली न जताना किसी को,
चली ख़ुद की राहें  सजन छोड़  दे।। 

डॉ.राम कुमार झा "निकुंज"
नयी दिल्ली

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