संदेश
भारत विश्व पटल पर छाये - कविता - अनिल मिश्र प्रहरी
जग बोले तेरी ही भाषा प्राणों की उत्कट अभिलाषा, तेरी ही छवि विश्व निहारे अंचल में चंद्रिका, सितारे,…
आग नहीं हूँ मैं - ग़ज़ल - आलोक कौशिक
आग नहीं हूँ मैं कुछ लोग फिर भी जलते हैं मुझको गिराने में वो हर बार फिसलते हैं बे-शक मिलो तुम उनसे जिनकी ज़बाँ है कड़वी बचो उनस…
मुझको ना भूल पाओगे - कविता - शेखर कुमार रंजन
ज़ख्म सच में तुम्हें हैं, तो मलहम लगा दू तुझे इससे पहले की कोई और नमक, लगा दे तुझे हमदर्द बनकर गुजारी हैं जिंदगी मैने सारे दर्द य…
काश मैं बंजारा होता - कविता - दिलीप यादव
"काश मैं बंजारा होता" तो लोगों का गुलाम ना होता, ना कोई नाम होता ना कोई काम होता, ना किसी पे बोझ होता ना किसी का बोझ हो…
जातिवादी प्रेम - कविता - आशीष कुमार पाण्डेय
जब प्रेम किया था, तब ना पूछा उसने। फिर आज क्यों वो इतना, जातिवादी हो रहा है।। जब प्रेम को विवाह के, सूत्र में बाँधना चाहती हूँ त…
भूल - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
नवशिक्षण अभिलाष मन, नाम समझ लो भूल। जीवन का शाश्वत नियम, आत्म चिन्तना मूल।।१।। भूल अर्थ विस्मृति समझ, मान अर्थ अपराध।…
औरतों का मजाक - आलेख - सलिल सरोज
साहिर लुधियानवी का फिल्म साधना के लिए लिखा यह गीत औरतों के ऊपर सदियों से हो रहे भद्दे मज़ाक और पुरुष प्रधान समाज की नग्न मानसिकता की…
लेखक का सपना - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
लेखक का सपना क्या? वो तो खुद सपना है सपनों में ही जीता है सपनों में ही खाता पीता सोता है। हसीन सपने देखता/दिखाता है, सपनों का स…
बढती जनसंख्या, घटते संसाधन - लेख - अंकुर सिंह
जनसंख्या वृद्धि कही न कही हमें आने वाले समय में भयंकर दुष्परिणाम की तरफ ले जा रही है, इसपर हम आज न सचेत हुए तो आने वाले समय में सं…
कोरोना की आर्थिक मार - कविता - महेश "अनजाना"
कोरोना महामारी ने आर्थिक मंदी की बना दी है जमीन। व्यवस्था ने रेत में मुँह धंसा दिया है। उसके लिए तूफ़ान गुजर चुका है। इसलिए त…
फूलपातड़ल्यां - राजस्थानी कविता - कपिलदेव आर्य
एक तो थारा नैण कंटीला, मिसरी बरगी बातड़ल्यां, मुळक सोवणी हिवड़ो हरती, बात करै फूलपातड़ल्यां! ओळ्यूं थारी भोळी सूरत, क्यूं नीं सोवै आ…
शिक्षक और शिक्षार्थी - आलेख - अतुल पाठक "धैर्य"
शिक्षक अगर मार्गदर्शक है तो शिक्षार्थी राही है। शिक्षक सिर्फ मार्ग दिखा सकता है पर उस राह पर चलना खुद शिक्षार्थी को ही होता है। शिक…
इंतज़ार-ए-इश्क़ - नज़्म - मनोज यादव
क्या मुसीबत हो जो इतनी खूबसूरत हो । मैं अकेला इश्क करू तुमसे और तू सबकी जरूरत हो ।। मैं इंतजार करू तेरा तू बेकरार करे मुझको। …
जीवन के दो पहलू - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
जीवन के प्रति सब का नजरिया, सबकी सोच अलग अलग है। बहुत से लोग भौतिक वस्तुओं को संग्रह करने को ही जीवन का सच मान लेते हैं और बहुत से …
करो तैयारी हिंदुस्तान अब - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
करो तैयारी हिंदुस्तान अब दुश्मनों का संहार करो, जो पूरे भारत भूमि पर उसका तुम संघार करो। दिखला दो दो तुम फिर सौर्यमान नभ जल …
हारिल की लकड़ी (गीत संग्रह) - पुस्तक समीक्षा - विमल कुमार प्रभाकर
वरिष्ठ साहित्यकार जनकवि दीनानाथ सुमित्र एक कुशल काव्य रचनाकार हैं । इनमें साहित्यिक , सामाजिक , सांस्कृतिक एवं प्रगतिशील दृष्टि द…
शिक्षक है हम - गीत - प्रदीप श्रीवास्तव
शिक्षक हैं हम भारत की नूतन तस्वीर बना देंगे। हम इन नन्हे मुन्नों की मिलकर तक़दीर बना देंगे।। ये कुम्हार की गीली मिट्टी, देना है आ…
पहेली - कविता - प्रियंका चौधरी परलीका
जीवन की पहेली में तुम उलझते जाना तुम्हें अच्छा लगेगा । तुम कोशिश मत करना कहीं ठहरकर, जीवन की पहेली को सुलझाने की..... ज…
वे लम्हें कितने प्यारे थे - गीत - प्रवीन "पथिक"
वे लम्हें कितने प्यारे थे! मिलने की बस आँखो की ललक थी। हज़ारों मिलन की एक झलक थी। रहते जैसे स…
गुरू वर - कविता - मयंक कर्दम
एक झरना सा, जब-जब गरजा मुझ पर, कुम्हार की अनुभूति से पीड़ित, चमक देने का था मुक्त अंदाज, कुछ माया का लगता था जाल। कुछ पाकर…
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