इंतज़ार-ए-इश्क़ - नज़्म - मनोज यादव

क्या मुसीबत हो 
जो इतनी खूबसूरत हो ।
मैं अकेला इश्क करू तुमसे
और तू सबकी जरूरत हो ।।

मैं इंतजार करू तेरा
तू बेकरार करे मुझको।
मैं जागता रहूं मुस्सलसल रातो में
जो तू इशारा करे मुझको।।
क्या मुसीबत हो ,जो इतनी खूबसूरत हो..

मैं अंजुमन की ख्वाहिश से लड़ू
मैं अकेला रकीबो से भिड़ू।
छू के अख्तर हो जाऊ मैं
जो तू अकेली मिले मुझको।।

तेरे गेसू घरौंदा बने मेरा
तेरा छाया छत हो जाये।
मैं जिन्दा तेरे पहलू में रहू
जो तू कुबूल करे मुझको।।

मनोज यादव - मजिदहां, समूदपुर, चंदौली (उत्तर प्रदेश)

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