संदेश
कोरोना की आर्थिक मार - कविता - महेश "अनजाना"
कोरोना महामारी ने आर्थिक मंदी की बना दी है जमीन। व्यवस्था ने रेत में मुँह धंसा दिया है। उसके लिए तूफ़ान गुजर चुका है। इसलिए त…
फूलपातड़ल्यां - राजस्थानी कविता - कपिलदेव आर्य
एक तो थारा नैण कंटीला, मिसरी बरगी बातड़ल्यां, मुळक सोवणी हिवड़ो हरती, बात करै फूलपातड़ल्यां! ओळ्यूं थारी भोळी सूरत, क्यूं नीं सोवै आ…
शिक्षक और शिक्षार्थी - आलेख - अतुल पाठक "धैर्य"
शिक्षक अगर मार्गदर्शक है तो शिक्षार्थी राही है। शिक्षक सिर्फ मार्ग दिखा सकता है पर उस राह पर चलना खुद शिक्षार्थी को ही होता है। शिक…
इंतज़ार-ए-इश्क़ - नज़्म - मनोज यादव
क्या मुसीबत हो जो इतनी खूबसूरत हो । मैं अकेला इश्क करू तुमसे और तू सबकी जरूरत हो ।। मैं इंतजार करू तेरा तू बेकरार करे मुझको। …
जीवन के दो पहलू - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
जीवन के प्रति सब का नजरिया, सबकी सोच अलग अलग है। बहुत से लोग भौतिक वस्तुओं को संग्रह करने को ही जीवन का सच मान लेते हैं और बहुत से …
करो तैयारी हिंदुस्तान अब - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
करो तैयारी हिंदुस्तान अब दुश्मनों का संहार करो, जो पूरे भारत भूमि पर उसका तुम संघार करो। दिखला दो दो तुम फिर सौर्यमान नभ जल …
हारिल की लकड़ी (गीत संग्रह) - पुस्तक समीक्षा - विमल कुमार प्रभाकर
वरिष्ठ साहित्यकार जनकवि दीनानाथ सुमित्र एक कुशल काव्य रचनाकार हैं । इनमें साहित्यिक , सामाजिक , सांस्कृतिक एवं प्रगतिशील दृष्टि द…
शिक्षक है हम - गीत - प्रदीप श्रीवास्तव
शिक्षक हैं हम भारत की नूतन तस्वीर बना देंगे। हम इन नन्हे मुन्नों की मिलकर तक़दीर बना देंगे।। ये कुम्हार की गीली मिट्टी, देना है आ…
पहेली - कविता - प्रियंका चौधरी परलीका
जीवन की पहेली में तुम उलझते जाना तुम्हें अच्छा लगेगा । तुम कोशिश मत करना कहीं ठहरकर, जीवन की पहेली को सुलझाने की..... ज…
वे लम्हें कितने प्यारे थे - गीत - प्रवीन "पथिक"
वे लम्हें कितने प्यारे थे! मिलने की बस आँखो की ललक थी। हज़ारों मिलन की एक झलक थी। रहते जैसे स…
गुरू वर - कविता - मयंक कर्दम
एक झरना सा, जब-जब गरजा मुझ पर, कुम्हार की अनुभूति से पीड़ित, चमक देने का था मुक्त अंदाज, कुछ माया का लगता था जाल। कुछ पाकर…
प्रेम - दोहा - संजय राजभर "समित"
वियोग अब मुश्किल हुआ, अगन प्रेम संताप। दर्द दिया दिलवर अगर, दवा बतायें आप ।। हुई चकित मैं देखकर, मधुर-मधुर मुस्कान। पगली सी बड…
मजदूर, मालिक और कोरोना - कविता - सुधीर कुमार रंजन
हां, मैं मजदूर हूँ, आप मालिक फर्क सिर्फ इतना है कि- मेरा जन्म एक मजदूर के घर, और आपका एक मालिक के घर। मेरा जन्म हुआ हो, या आप…
सत्कर्मों से जग सफल - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
सत्कर्मों से जग सफल, साहस धीर विनीत। अलस तजे पथ उद्यमी, मिले सुयश मधुप्रीत।।१।। स्वार्थ चित्त मद मोह जग, भूले सत् आचार। कामी खल…
फूल से पत्थर का संवाद - कविता - ममता शर्मा "अंचल"
इक दिन फूलों से पत्थर की बात हुई बात कहूँ या तानों की बरसात हुई तू है बहुत कठोर, कहा जब फूलों ने साथ दिया फूलों का तीखे शूलों …
है तरुण देश भारत विशाल - कविता - अनिल मिश्र प्रहरी
कलियों पर मादक लाली है कानन, उपवन हरियाली है, कोयल की तान मधुर बिखरी धरती लगती नूतन , निखरी। मं…
मुक्त आकाश - कहानी - सुधीर श्रीवास्तव
घनघोर वारिश के बीच कच्चे जंगली रास्ते पर भीगता काँपता हुआ सचिन घर की ओर बढ़ रहा था। उसे माँ की चिंता हो रही थी,जो इस विकराल मौसम म…
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