संदेश
ग़म छुपाते रहे मुस्कुराते रहे - ग़ज़ल - डॉ॰ एल॰ सी॰ जैदिया 'जैदि'
अरकान : फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन तक़ती : 212 212 212 212 ग़म छुपाते रहे मुस्कुराते रहे, दिल फिर भी हम लगाते रहे। हमारी ये दिवानगी …
विरह - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
विरह के इस घड़ी में, रो-रो कर मैं जीता हूँ, याद तेरी जब आती है, अश्रु विष पीता हूँ। याद तेरी जब आती हैं, हृदय में पीड़ा होती है, …
दर्द-ए-नौकरी - कविता - ऋचा तिवारी
हर रोज़ की मुश्किल ये भी है, ये दर्द किसे बतलाए हम। एक मासूम से दिल को कैसे, रोज़ भला बहलाए हम। घर से निकले जब, जानें को, वो हाथ पकड़, य…
दर्द-ए-दिल किस को सुनाऊँ मैं - ग़ज़ल - एल॰ सी॰ जैदिया 'जैदि'
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ा तक़ती : 2122 2122 2 दर्दे-ए-दिल किस को सुनाऊँ मैं, गुज़र रहे है दिन कैसे बताऊँ मैं। तन्हाइयों से तंग आ …
सूखा पत्ता हूँ उपवन का - कविता - डॉ. कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव
इंतज़ार मैं करता रहता, सुबह, दोपहर और शाम। अब नही कोई चिट्ठी आती और ना आता पैग़ाम।। कोई याद ना करता मुझको, और ना कोई फ़ोन करे। सूखा पत्त…
काश तुम समझ पाती - कविता - गौरव पाण्डेय
आसमान की बारिश को कोई रोक न पाए, जाने वाले हमराही को अब कौन समझाए, रिश्तों में कम हुई मिठास कभी नहीं है बढ़ पाती, हमारे इसी रिश्ते को …
आह भरते रहे ग़म उठाते रहे - ग़ज़ल - अभिषेक मिश्र
आह भरते रहे ग़म उठाते रहे, जिंदगी भर उन्हें हम मनाते रहे। हमने की ही नहीं बद गुमानी कभी, बस यही सोच कर छटपटाते रहे। बात थी इश्क़ की इसलि…
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