संदेश
इस बार की होली - कविता - गुड़िया सिंह
इस बार की होली ऐसी हो, ख़ुदा के इबादत जैसी हो। सबके जीवन में खुशियो के रंग भर दे, कोरोना की ऐसी-तैसी हो। आई है विपदा मानव पर, घोर संकट …
होली खेले कान्हा - कविता - सुनीता मुखर्जी
राधा रानी संँग खेलन होली पहुंँच गए बरसाना, रंग लगाने की ताक में छिपे इत-उत देखें कान्हा। देख लियो माधव, राधिका लाज से सकुचानी, लोचन डू…
फागुन में - गीत - पारो शैवलिनी
उनकी यादें सताने लगे फागुन में। कोयलिया कूकी डारी पे लगा मुझे तुम बुला रही हो। बंशी सी माधुरी सूरों में सरगम डोर बन झूला रही हो। पुरबई…
रंगों का त्यौहार - कविता - गणपत लाल उदय
लो आया फिर रंगों का त्यौहार, गीत खुशी के सब गाओ मल्हार। पक्के रंगों से होली नही खेलना, गुलाल लगाकर मनाना त्यौहार।। अब ना रहा पहले जैस…
होली का त्यौहार - कविता - शमा परवीन
सौहार्द का त्यौहार होली का त्यौहार, रंगो का त्यौहार होली का त्यौहार। अपनेपन का शृंगार खुशियों की बौछार, देखों आया होली का त्यौहार। पाव…
होली के रँगों जैसी - लघुकथा - सुषमा दीक्षित शुक्ला
इस बार की होली नई नवेली दुल्हन हीरा के लिए अद्भुत एहसास लेकर आई थी, क्योंकि यह उसके ब्याह के बाद की पहली होली थी। अभी अभी नया घर संसार…
होली है भाई होली है - कविता - रमेश कुमार सोनी
वासंती छटा से बौराया फागुन बुला लाता है संग अपने होली के रंग-गुलाल का मौसम इसे देख पलाश भी दहकने लगा और आम्र मंजरियों से कोयल कूकने…
आया होली का त्यौहार - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
कोई न बच के जाने पाए, आया होली का त्यौहार। नीले-पीले रंगों मे रंग जाए दुश्मन भी यार, आओ मिलकर खेलें सब खुशियाँ बाँटे दोनो हाथ, चुन्न…
होली आई होली आई - कविता - अनिल भूषण मिश्र
होली आई होली आई, चारों ओर मदमस्त बहारें लाई। महुआ कूचे आम बौराई, प्रफुल्लित हो उठी है सारी अमराई।। होली आई होली आई कोयल ने पंचम स्वर क…
होली तिरंग नभ छाते हैं - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
होली का त्यौहार अनूठा, कोई जग में रहे न रूठा। भेद भाव मन ऊँच नीच का, रंग नशा में खो जाते हैं। पैगाम शान्ति समरसता का, रंग गुलाल त्यौह…
प्रेम के रंग - लोकगीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
होली खेलें श्याम यमुना जी के तीर। सखी चल ना सही यमुना जी के तीर। होली खेलें श्याम यमुना जी के तीर। सखी चल ना सही यमुना जी के तीर। राधा…
होली का हुड़दंग - कविता - रमाकांत सोनी
होली में हुड़दंग मचाना, अच्छा लगता है। स्वर लहरी हो मस्ती भरी, गाना अच्छा लगता है।। धमालों पर रसिया नाचे, स्वांग रचाते नर नारी। पि…
रंगरसिया राधा रमण - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
वंदन पूजन हरि चरण, अर्पण जगदानन्द। राधा नटवर प्रिय मिलन, ब्रज होली आसन्द।।१।। राधा माधव मोहिनी, करूँ रंग शृङ्गार। खेलूँ होली साथ में, …
हमराही जीवन की होली - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
अपनी भाषा अपनी होली, मिलें मनाएँ समरस होली। रंगों की पिचकारी भरकर, आओ खेलें हम रंगोली। आई फागुन की फुनगाई, तरुणाई ने ली अंगराई। प्रेम …
तुम और अपना गाँव - लघुकथा - सुषमा दीक्षित शुक्ला
कमला चाची दरवाजे पर टुकटुकी लगाए आज सुबह से अपने परदेसी बेटे जीवन की अनवरत प्रतीक्षा कर रही थीं, होली का दिन जो आ गया था। मगर बेरोज़गार…
फागुन महीना - कविता - रमाकांत सोनी
बाँसुरी की धुन पर कान्हा, यमुना तट पर गाएगा। थिरकेगी ब्रज की हर बाला, गोकुल में मोहन आएगा। वासंती मादक महीना, फाग भरा फागुन आया। पि…
माह फागुन का आया - रोला छंद - महेन्द्र सिंह राज
उड़ता रंग गुलाल, माह फागुन का आया। ख़ुशियाँ हैं चहुंओर, सजन ने रंग लगाया।। साडी़ भीगी मोर, पिया का कुर्ता भीगा। पिया मोर चितचोर, कही…
धूल की होली - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
बृज धूल की रोली से, राधा कान्हा संग खेले होली रे। देख कान्हा राधा मनमोहनी को, अपनी सुध वुध खो जावे। वेसुध देख के कान्हा को, धूल की मु…