कोई न बच के जाने पाए,
आया होली का त्यौहार।
नीले-पीले रंगों मे रंग
जाए दुश्मन भी यार,
आओ मिलकर खेलें सब
खुशियाँ बाँटे दोनो हाथ,
चुन्नू-मुन्नू, चिंकी-पिंकी
छोड़ेंगे न हम इस बार,
राधावल्लभ संग खेलेंगे
ग्वाल-गोपियाँ हम-तुम यार।
कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी - सहआदतगंज, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)