इस बार की होली - कविता - गुड़िया सिंह

इस बार की होली ऐसी हो,
ख़ुदा के इबादत जैसी हो।
सबके जीवन में
खुशियो के रंग भर दे,
कोरोना की ऐसी-तैसी हो।
आई है विपदा मानव पर,
घोर संकट छाया है, जीवन पर।
पूरी सृष्टि महामारी से हुई
ग्रसित है,
भय स्थापित हुआ है
सभी के मन पर।
मिट जाए वो संताप,
बेफ़िक्र, निर्भीक ज़िंदगी हो,
सबके जीवन में
खुशयों के रंग भर दे,
कोरोना की ऐसी-तैसी हो।
बरसे जो रंग, गुलाल,
हर्षित हो सम्पूर्ण संसार,
मने जब ये
रंगों का त्यौहार।
कुछ इस तरह की हो,
होली इस बार,
हर तरफ़ ही
उमंग, उल्लास हो छाया,
घर-घर गूँजती हँसी हो।
सबके जीवन में ही
खुशियों के रंग भर दे,
कोरोना की ऐसी-तैसी हो।

गुड़िया सिंह - भोजपुर, आरा (बिहार)

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