फागुन महीना - कविता - रमाकांत सोनी

बाँसुरी की धुन पर कान्हा, 
यमुना तट पर गाएगा।
थिरकेगी ब्रज की हर बाला, 
गोकुल में मोहन आएगा।

वासंती मादक महीना, 
फाग भरा फागुन आया।
पिचकारी में भर रंगों को, 
प्रेम रस खूब बरसाया।

हँसी खुशी और मस्ती का,
लहराता आलम सारा।
चंग की थाप पर नाचता, 
मानव मन मयूरा प्यारा।

होली का त्योहार मनभावन,
फागुनी धमाल सुनाता है।
हर्ष उल्लास भर कर जीवन में,
गीत प्रेम के गाता है।

रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)

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