संदेश
संतोष से बड़ा सुख नहीं - कविता - गणेश भारद्वाज
संतोषी जन बहुत सुखी हैं, स्वार्थ की दुनियादारी में। झूम उठा जो एक ही गुल पर, क्या करना उसको क्यारी में? सीख लिया थोड़े में जिसने, …
एक सुबह होने दो मेरी स्मृति में - कविता - सुरेन्द्र प्रजापति
एक सुबह होने दो मेरी स्मृति में उगने दो रक्तिम आभा की तरह एक सुरज मेरे स्मृति के बंजर में मेरा सीना अनुपजाऊ ज़मीन है कट चुका जंगल, मरुस…
सुख की पूरकता - लघुकथा - ईशांत त्रिपाठी
इंदिरा और आनन्द का एकलौता बच्चा पढ़ लिखकर अप्राप्त नश्वर भविष्य को सुनहरा बनाने निकल गया। माता-पिता के पास दर्जनों भृत्य रख-रखाव देखभा…
थोड़े से सुख - कविता - सुरेन्द्र प्रजापति
मेरे पास थोड़े से सुख हैं बिल्कुल सफ़ेद पत्थरों की तरह कुछ काले चीकने कंकड़ जिसे सहेजता हूँ रोज़ एक परम्परा का निर्वाह करते हुए माँ बतलाई …
सुख - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
निर्धन को दौलत मिल जावे वह सुख का आनंद कुछ और है। सूनी गोदी अगर भर जावे तो माँ के सुख का अलग शोर है। जुदा प्रेमियों का मिलन आमोद ही आ…
सुख दुख - दोहा छंद - कवि संत कुमार "सारथि"
सुख दुख जीवन रीत है, जैसे हो दिन रात। गरमी, शरद बसंत है, चौथी है बरसात।।१।। सुख दुख जीवन में सदा, चलता हरदम संग। कभी निराशा मत रखो, रख…
सुख - दुःख का मोल - गीत - महेश "अनजाना"
सुख दुःख के तराजू में, जीवन को बस तोल रे....! सुख दुःख के बिना नहीं जीवन का कोई मोल रे....! सुख का आनंद तो मिले जब दुःख में तप…
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