संदेश
कर्मवीर बनता विजेता कर्मपथ - कविता - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
रावण ब्राह्मण ही नहीं वेदज्ञ था, महाकर्मवीर, पर अहंकारत्व था। वैज्ञानिक दार्शनिक बलवन्त था, विश्वविजेता, पर खल शापग्रस्त था। बहन अ…
नव प्रगति शान्ति नव विजय कहूँ - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
रावण दहन के इतिहास में, मैं दानवता का अंत कहूँ। या पाखंड मुदित खल मानस, कोटि रावण अब आभास करूँ। परमारथ सुख शान्ति लोक में, यश विज…
दशानन दहन - कविता - आर॰ सी॰ यादव
हे रावण! हम जलाते हैं प्रतिवर्ष परंतु तुम जलते ही नहीं आग की लपटो में घिरे अट्टाहस हँसी हँसते हो मानो कुछ कहना चाहते हो समाज को जो त…
रावण, ज्ञान और अधर्म - लेख - सिद्धार्थ 'सोहम'
रावण, लंकेश, दशानन इत्यादि नामों से प्रसिद्ध ऋषि पुलस्त्य का वंशज, वेदांग का ज्ञाता, भक्ति और शक्ति में लीन, परम प्रतापवान नीति पारंगत…
रावण ज़िंदा है - कविता - गोकुल कोठारी
सत्य आग्रही राम ने मारा, पर दुराग्रही रावण नहीं हारा। सदियों से हम फूँक रहे हैं, सारी ताक़त झोंक रहे हैं। लेकिन वह मायावी सठ, उसकी अपनी…
रावण दहन - कविता - आशीष कुमार
लगा हुआ है दशहरे का मेला, खचाखच भरा पड़ा मैदान है। चल रही है अद्भुत रामलीला, जुटा पड़ा सकल जहान है। धनुष बाण लिए श्रीराम खड़े, सामने ख…
रावण वध - कविता - संजय राजभर 'समित'
मैं स्वयं रावण हूँ प्रति क्षण स्वयं से अंदर ही अंदर लड़ता हूँ, बाहर माया मोह का एक घना जंजाल है। बुद्ध महावीर कबीर स्वयं की …
नारी सम्मान - कविता - ज़हीर अली सिद्दीक़ी
त्योहार नहीं, पहचान नहीं, घर के सीता का मान नहीं। वह सीता थी सती सदा, आज नज़रें सीता को घूर रहीं।। असत्य के साथ था भले खड़ा पर मर्यादा प…
विजय पर्व हो शान्ति का - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
परमारथ सुख शान्ति लोक में, यश विजय दीप आलोक कहूँ। विजयपर्व यह सत्य न्याय का, दशहरा या रामराज्य कहूँ। कलियुग के इस व…
विजय पर्व - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
हम सब हर साल रावण के पुतले जलाते हैं विजय पर्व मनाते हैं, शायद मुगालते में हम खुद को ही भरमाते हैं। वो सतयुग था जब राम ने रावण को मार…
रावण - कविता - प्रीति बौद्ध
तुम हर बार किडनैपर रावण जलाते हो, और वर्तमान बलात्कारियों से रिश्ता निभाते हो। रोज हो रहे हैं बलात्कार, चारों तरफ है हाहाकार। बेटियों …
रावण ऐसे न जलता - कविता - सूर्य मणि दूबे "सूर्य"
रावण ऐसे न जलता दशहरे के मेलों में किसी एक ने पहचाना होता श्री राम को दस चेहरों ने ।। दम्भ और शक्ति के मद में ईश्वर का अस्तित्…
आज का रावण - कविता - राजीव कुमार
आज का रावण ज्यादा हाई-टेक है, वह आज भी राम की कुण्डली लिखता है। सीता को पहले से ही हर कर अंगिका बना बंदिनी बना देता है उ…
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