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हर हर शंकर भोले दानी - चौपाई छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
हर हर शंकर भोले दानी। देवासुर सब कीर्ति बखानी॥ द्वादश ज्योतिर्लिङ्गहि रूपा। त्रिलोकेश्वर रुप अनूपा॥ महादेव भुवनेश्वर लोका। कैलाशी हरते…
शशिधर बम बम - घनाक्षरी छंद - रविंद्र दुबे 'बाबु'
तिलक विजय सज गंग लट जट सट। हर हर सब पर बम बम बम बम॥ कंठ पर विषधर विष पिय जमकर। बम बम बम बम हर हर बम बम॥ सरपट करतल अपपठ फट कर। उग्र भव…
शिव हमारे आराध्य - कविता - शक्ति श्रीवास्तव
ओमकार का स्वर है फैला शिव नभ के हर द्वारे में, ओम शब्द की ध्वनि है गूँजी दुख के इस अँधियारे में। अंग-अंग है तृप्त हुआ, मन का भ्रम भी ल…
शिव साजन सावन मुदित - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
नवकिसलय कुसुमित चमन, सावन मेघ फुहार। गन्धमाद प्रवहित पवन, आए प्रीत बहार।। स्वागत सावन मास का, अभिनन्दन शिवधाम। ग्रीष्मातप आहत धरा, बरस…
मैं शिव हूँ - कविता - डॉ. राजेश पुरोहित
मैं आदिदेव अजन्मा, मैं अविकारी अविनाशी हूँ। ॐ स्वरूप में नित रहता, मैं श्रीराम की सेवा करता हूँ।। सृष्टि के लिए मैं, सब कुछ करता हूँ म…
सावन मास - दोहा छंद - विशाल भारद्वाज "वैधविक"
कृपा हो महाकाल की, जन मानुष के साथ। अब कोरोना ख़त्म हो, कोई न हो अनाथ।। आते काशी घाट पर, नित दिन जन समुदाय। चाह स्वर्ग की रख सभी, करते …
द्वादश ज्योतिर्लिङ्ग स्तुति - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
सोमनाथ सौराष्ट्र में, करुणाकर अवतार। चारु चन्द्र धर शिखर शिव, गंगाधर संसार।।१।। उच्च शिखर श्रीशैल पर, प्रमुदित देव निवास। पूज्य मल्ल…
जय महाकाल - कविता - रमाकांत सोनी
अंग भस्म रमाने वाले, नीलकंठ कहलाने वाले। हे त्रिपुरारी हे शिव शंभू, नियति चक्र चलाने वाले।। बहे जटा से गंगा धारा, नटराज करे नित्य प्या…
प्रकृति पुरुष शिवजी - कविता - विनय "विनम्र"
शिव जन्म नहीं, शिव मृत्यु नहीं, वे अविरल हैं व्यक्तित्व नहीं। वे कालख़ड़ में बंधे नहीं, शब्दों में भी कभी सधे नहीं। वे राग द्वेश से उपर …
शिव सती प्रेम - गीत - समुन्द्र सिंह पंवार
शिव और सती का प्रेम अदभुत, अनुपम और पावन था। सती में थी शिव की आत्मा तो शिव में सती का मन था। राजमहल में रहने वाली को एक वनवासी भाए थ…
ओ भोले भण्डारी हम पर कृपा करो - गीत - श्याम सुन्दर श्रीवास्तव "कोमल"
ओ भोले भण्डारी! प्रभु जी, विनती सुनो हमारी। हम पर कृपा करो।। विषय व्याल ने घेरा डाला, हुई वासना हावी। पल-पल छलती हमको ठगनी, यह माया …
शिव वंदना - कविता - अंकुर सिंह
जय हो देवों के देव, प्रणाम तुम्हे है महादेव। हाथ में डमरू, कंठ भुजंगा, प्रणाम तुम्हे शिव पार्वती संगा।। बोलो जय जय देवाधिदेव, प्रणाम त…
शिव स्तुति - कविता - तेज देवांगन
तू आश है, विश्वास है, तू हर मानव तलाश है। तू क्षण है, भंगुर है, तू मानव शक्ति आतुर है। तू ज्ञान है, विज्ञान है, तू सत्यता की प्रमाण है…
देवो के देव महादेव - कविता - उमाशंकर मिश्र
गले मे सांप जिसके मस्तक पर चाँद जिसके सुंदर जटाओ मे गंगा जिसकी जिसके बाजू पर डमरु लटके है वही प्यारे शंकर हमारे दिल मे बैठे है। किसी क…
क्यों है प्रिय शिव को सावन का महीना - आलेख - अतुल पाठक "धैर्य"
सावन में भगवान शिव की आराधना का अपना ही महत्व है। इस महीने भोलेनाथ की पूजा करने से सबकी मनोकामना पूरी होती है। सम्पूर्ण भारत दे…
रोम रोम मे शिव हैं जिनके - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
रोम रोम में शिव हैं जिनके , विष पिया करते हैं । दुख दर्द जला क्या पाएगा , जो अंगारों से सजते हैं । मां सती बिछड़कर जब …
शिव स्तुति - गीत - समुन्दर सिंह पंवार
जय हो शिव शंकर भगवान तेरी लीला बड़ी महान तेरी जट्टा में गंगा बहती तेरे संग में गोरा रहती तेरा धरती दुनिया ध्यान तेरी लीला बड़ी …