संदेश
कारण पता नहीं - कविता - प्रवीन 'पथिक'
पूरी रात, सो नहीं सका मैं! कारण पता नहीं! शायद! उम्र बढ़ने से नींद प्रायः घटने लगती है। भय मिश्रित चिंता, हावी रहता है मन पर; मेघों की…
रेत में दुख की - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
आओ फिर से उठे, बेहतर में मिल जाएँ। रेत में दुख की, कुसुम सम खिल जाएँ। गहरे हैं सन्नाटे, गहरी है विषाद की रेखा। दूजों की बात करें क्यों…
अश्रुमय जीवन - कविता - प्रवीन 'पथिक'
आज कल मन बहुत उदास है! शायद! कुछ भी नहीं मेरे पास है। दर्द रुलाता है, ऑंखें भर आती हैं, उदासी फिर भी नहीं जाती है। सपनें नहीं टूटे, टू…
दुःख हमें भी हुआ था - कविता - प्रवीन 'पथिक'
दु:ख हमें भी हुआ था; जब हमारी साँसें रुकी थी। दर्द तुम्हें भी होगा; जब तुम्हारा व्यापार बंद होगा। भावनाओं का खेल पूर्ण विराम लेगा। विच…
एक पल - कविता - सुशील शर्मा
टूट गया छूट गया स्वप्न एक रूठ गया। एक पल था रुका नहीं एक आँसू लुढ़क पड़ा। लगा कि वो अब मिला फिर कहीं छिटक गया खिसक गया सरक गया। फिर मिले…
हमदर्द बन के कोई, हमें दर्द दे गया - ग़ज़ल - नागेन्द्र नाथ गुप्ता
अरकान: मफ़ऊल फ़ाइलातु मुफ़ाईलु फ़ाइलुन तक़ती: 221 2121 1221 212 हमदर्द बन के कोई, हमें दर्द दे गया, खुख चैन छीन, आह हमें सर्द दे गया…
आर्तनाद - कविता - प्रवीन 'पथिक'
जब भी अतीत को देखता हूँ! एक भयानक यथार्थ; खड़ा हो जाता मेरे समक्ष। बड़ी भुजाऍं, बड़ी-बड़ी ऑंखें, और लपलपाती रक्तिम जिह्वा लिए; घूरा क…
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