गौरव है मुझको वतन, शत शत उसे प्रणाम।
बढ़े मान चहुँदिक प्रगति, जन धन यश सुखधाम।।
हो शिक्षा सब जनसलभ, स्वस्थ रहे जन गात्र।
जाति धर्म भाषा बिना, मानक बने सुपात्र।।
मर्यादित आचार हो, नित प्रेरक वात्सल्य।
मौलिकता पुरुषार्थ हो, कर्मशील साफल्य।।
साधु समागम कठिन जग, सद्गुरु दुर्लभ लोक।
मातु पिता भू गगन सम, मिले ज्ञान आलोक।।
राष्ट्रधर्म कर्तव्य हो, लोकतंत्र विश्वास।
परमारथ सेवा वतन, नीति प्रीति आभास।।
हरित भरित सुष्मित प्रकृति, ऊर्वर भू संसार।
तजो स्वार्थ संभलो मनुज, प्रकृति बने उपहार।।
यह ग्लेशियर चेतावनी, भूकम्पन तूफ़ान।
जलप्लावन ज्वालामुखी, रोक प्रकृति अपमान।।
जो कुछ जीवन में मिला, समझ ईश वरदान।
पाओ सुख संतोष को, खुशी प्रीति यश मान।।
सब प्राणी समतुल्य जग, सबका जग अवदान।
पंच भूत निर्मित जगत, जीओ बन इन्सान।।
जन मन मंगल भाव मन, जन विकास अवदान।
जीवन अर्पित देश को, मातृशक्ति सम्मान।।
छवि निकुंज मन माधवी खिले कुसुम मकरन्द।
फैले खुशियाँ अरुणिमा, धवल कीर्ति निशिचन्द।।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली